PPF Vs NPS: पीपीएफ और एनपीएस लॉन्ग-टर्म सेविंग स्कीम है, जो रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने का एक अच्छा विकल्प है। इसे निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है। NPS एक रिटायरमेंट सेविंग प्लान है जो निवेशकों को उनके भविष्य के लिए निवेश करने की अनुमति देता है। इसमें निवेश का 60% हिस्सा रिटायरमेंट के समय निकाला जा सकता है और बाकी 40% का इस्तेमाल पेंशन योजना के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं दोनों के फायदे और नुकसान।
पीपीएफ सरकार की बनाई लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम है। रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने का यह बेहतर विकल्प माना जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक पीपीएफ को निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जा सकता है। इस पर सरकार रिटर्न तय करती है। पीपीएफ में निवेश की रकम की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। ये स्कीम 15 साल के लिए है। पीपीएफ खाते में सालाना 500 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। टैक्स सेविंग के लिहाज से पीपीएफ में निवेश करना बेहतर है क्योंकि निवेश की गई रकम और मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इनकम टैक्स की धारा 80C के अनुसार यह पैसा टैक्स फ्री है। कोई भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है और 18 वर्ष से अधिक उम्र का है, वह पीपीएफ खाता खोल सकता है और इसमें निवेश कर सकता है।
एनपीएस एक रिटायरमेंट सेविंग प्लान है। यह एक सरकारी योजना है जो नागरिकों को उनके कामकाजी जीवन के दौरान अपने भविष्य में निवेश करने की अनुमति देती है। एनपीएस में निवेश का 60 प्रतिशत हिस्सा रिटायरमेंट के समय निकाला जा सकता है। बाकी 40 प्रतिशत का इस्तेमाल पेंशन योजना खरीदने के लिए किया जाता है। एनपीएस एक तय रिटर्न वाला निवेश नहीं है। एनपीएस पर रिटर्न बाजार जोखिम से जुड़ा है। एनपीएस 18 से 70 वर्ष की आयु के बीच के किसी भी भारतीय नागरिक के लिए खुला है। कोई भी व्यक्ति इस योजना में शामिल होकर और इसमें नियमित रूप से निवेश करके लाभ उठा सकता है।