संयुक्त राष्ट्र के मानवीय आपदा राहत समन्वयक, और संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों की समन्वय एजेंसी OCHA के प्रमुख, टॉम फ़्लैचर ने कहा, “पूरी दुनिया आग की लपटों में घिरी हुई है….हम विश्व स्तर पर एक बहुसंकट से गुज़र रहे हैं, जिसका सर्वाधिक ख़ामियाज़ा सबसे सम्वेदवशील लोग भुगत रहे हैं. हम संघर्षों के प्रभाव से जूझ रहे हैं – अनगिनत संघर्ष – लम्बी अवधि के, अधिक तीव्र संकट.”
टॉम फ़्लैचर ने 30 से अधिक देशों व शरणार्थियों की मेज़बानी करने वाले नौ क्षेत्रों में जीवनरक्षक सहायता प्रदान करने के लिए 47.4 अरब डॉलर जुटाने की अपील की.
असम्भव विकल्प
OCHA का यह नया मानवीय मूल्यांकन, एजेंसी के 1500 से अधिक मानवीय साझीदारों की ओर से पेश किया गया है. हालाँकि आशंका यही है कि 30.5 करोड़ ज़रूरतमन्द लोगों में से केवल 19 करोड़ तक ही पहुँचा जा सकेगा.
इसका एक बड़ा कारण, वित्त-पोषण की कमी है, जिसकी वजह से काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे देशों में आबादी ने दशकों से हिंसा और अस्थिरता का दंश झेला है.
टॉम फ़्लैचर ने कहा, “काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अन्य सभी संघर्षरत इलाक़ों में, हम अधिक कार्रवाई के लिए तैयार हैं. अधिक से अधिक सहायता पहुँचाना ही हमारा मिशन है.”
“मेरे सहयोगी, जो अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता हैं, वहाँ जाकर राहत पहुँचाने के लिए बेताब हैं. उन्हें लोगों की ज़रूरतों का अन्दाज़ा है, और इसलिए हमें इन संसाधनों की बहुत आवश्यकता है. यह आहवान हमारी कार्रवाई के लिए है, लेकिन हम चाहते हैं कि दुनिया अधिक सहायता मुहैया करवाए; जिनके पास अधिक करने की शक्ति है, वो दण्ड मुक्ति व उदासीनता के इस युग को चुनौती दे.”
हर दरवाज़ा खटखटाने को तैयार
संयुक्त राष्ट्र के नवनियुक्त शीर्ष सहायता अधिकारी के रूप में, टॉम फ़्लैचर ने दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों के लिए नई साझेदारी एवं एकजुटता की तलाश में, दुनिया भर के देशों का दौरा करने और सरकारों के “दरवाज़े खटखटाने” का संकल्प लिया.
उन्होंने कहा, “मुझे इस तर्क को नए सिरे से पेश करने के तरीक़े खोजने होंगे, जिससे यह व्यापक स्तर पर लोगों के कानों में गूँजे.”
केन्या से लेकर लेबनान और उत्तरी आयरलैंड तक, संघर्ष और शान्ति निर्माण के कार्यों का अनुभव और ब्रिटेन के राजदूत के रूप में अपनी पिछली भूमिकाओं का हवाला देते हुए नए OCHA प्रमुख ने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उन स्थानों पर राहत कार्रवाई जारी रहे, जहाँ इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है.
उन्होंने अपने से पहले राहत प्रमुख रहे मार्टिन ग्रिफ़िथ्स की “असाधारण उद्यमशील मानवीय कूटनीति” की सराहना की. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने स्वास्थ्य कारणों से जून में पद छोड़ दिया था.
टॉम फ़्लैचर ने कहा, “मानवीय सहायता के वितरण को लेकर मेरा मिशन बहुत स्पष्ट है.”
चुनावों से बदलते परिदृश्य
इस वर्ष कई देशों में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं, ऐसे में बदलते भू-राजनैतिक परिदृश्य के सवाल पर टॉम फ़्लैचर ने कहा कि “यह केवल अमेरिका के बारे में नहीं है…अन्य कई जगहों पर भी नई सरकारें चुनी गई हैं, जो यह सवाल उठाएंगी कि संयुक्त राष्ट्र क्या करता है…लेकिन मैं नहीं मानता कि हम उनके सामने अपनी बात नहीं रख सकते; मैं नहीं मानता कि जो सरकारें चुनकर आ रही हैं, उनमें करुणा नहीं है.”
2025 की वैश्विक मानवतावादी रिपोर्ट के अनावरण पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान टॉम फ़्लैचर ने इस बात की पुष्टि की कि दुनियाभर के समुदायों के सामने बहुसकंट का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा.
उन्होंने कहा,“मसला केवल एक समय में अनगिनत संघर्षों का सामना करने का नहीं है, मसला उन संघर्षों है जो लम्बे समय से खिंचते आ रहे है,जिनकी औसत अवधि 10 वर्ष है.”
उन्होंने कहा, “हम अगला संघर्ष शुरू होने से पूर्व, पहले वाला बन्द नहीं कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि यह संघर्ष इतने क्रूर हैं और नागरिकों पर इसका प्रभाव इतना नाटकीय है. मैंने इसके लिए ग़ाज़ा, सूडान, यूक्रेन का उदाहरण दिया है, जहाँ अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की अवहेलना की गई और हर मामले में हमारे काम में बाधा डाली गई.”
जलवायु संकट की मार
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सूडान समेत दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में जारी संघर्षों में अनगिनत लोगों की जान जा चुकी है. पिछले सप्ताह ही नए संयुक्त राष्ट्र राहत प्रमुख, सूडान में युद्ध से विस्थापित लोगों से मिलने गए थे. टॉम फ़्लैचर ने बताया कि पहले से ही अतिसम्वेदनशील लोगों की स्थिति, जलवायु संकट की मार से और गम्भीर हो रही है.
उन्होंने कहा, “मुझे डर इस बात का है कि दो बड़े कारक अब एक हो रहे हैं.” उन्होंने कहा, “इससे हमारा काम बहुत मुश्किल हो जाता है. और इन बहुसंकटों की मार अक्सर उन क्षेत्रों में पड़ती है जो पहले से ही भारी ग़रीबी एवं असमानता का सामना कर रहे हैं.”
नवीनतम अनुमानों से संकेत मिलता है कि दुनिया भर में संघर्ष के कारण लगभग 12.3 करोड़ लोग जबरन विस्थापित हुए हैं. टॉम फ़्लैचर ने बताया, “इस समूह के बीच बच्चों के ख़िलाफ़ हो रहे उल्लंघन भी रिकॉर्ड स्तर पर हैं. मैंने यह सूडान में देखा.इस समय हर पाँच में से एक बच्चा, संघर्षरत क्षेत्रों में रह रहा है.”
सहायता पहुँचाने में चुनौतियाँ
यूएन के शीर्ष सहायता अधिकारी ने कहा कि सहायता के लिए पहुँच की गारंटी एक प्रमुख मुद्दा है, जिसे सम्बोधित करना उनकी प्राथमिकता रहेगी. उन्होंने कहा, “मैंने हर दिन ज़मीन पर मौजूद अपनी टीमों से बात की है. उन्हें बुनियादी मानवीय सहायता ले जाने में अनगिनत बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.”
“हमारा काम हर चौकी, हर सीमा को पार करते हुए मानवीय सहायता प्रदान करना है. मानवीय सामग्री ले जाने वाले हर एक ट्रक की आवाजाही के लिए बहस करनी पड़ती है… मैं सूडान में यही कर रहा था…यह हमारा मिशन है.”
बुधवार को जिनीवा, कुवैत और नैरोबी में वैश्विक मानवतावादी सिंहावलोकन पर 2025 की रिपोर्ट जारी की गई. यह लड़ाकों द्वारा युद्ध के क़ानूनों और अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून को अधिक सम्मान देने व समझने पर ज़ोर देने का एक अवसर भी है, जिससे, नागरिकों और सहायता टीमों की रक्षा हो सके क्योंकि इस साल रिकॉर्ड संख्या में उनकी मौत हुई है.
टॉम फ़्लैचर ने कहा, “केवल ग़ाज़ा, यूक्रेन, सूडान, सीरिया में जारी संघर्षों की उग्रता ही महत्वपूर्व मुद्दा नहीं है. जानबूझकर अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून को नज़रअन्दाज़ किया जाना भी बड़ा मुद्दा है.” और ऐसा लगता है कि इस तथ्य के कारण और इसके परिणामस्वरूप, मानो हमने अपना आधार खो दिया है.”