इन तीनों क्षेत्रों के लिए WFP की निदेशक कॉरिन फ़्लीशेर ने ग़ाज़ा पट्टी और यूक्रेन का हाल ही में दौरा किया है, जिसके बारे में भी उन्होंने पत्रकारों को जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि ग़ाज़ा में इसराइली सेना द्वारा जारी किए जाने वाले बेदख़ली आदेशों में बढ़ोत्तरी और युद्ध के कारण स्थिति बेहद ख़राब होने के कारण, यूएन खाद्य सहायता एजेंसी, ग़ाज़ा में कम लोगों तक खाद्य मदद पहुँचा सकी.
ये हालात, ग़ाज़ा पट्टी में अकाल को जड़ें जमाने से रोकने के प्रयासों में भी बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.
परिवारों का सामने मुसीबतें
कॉरिन फ़्लीशेर ने कहा कि मध्य पूर्व में लोगों को पिछले 13 वर्षों के दौरान अरब क्रान्ति, लम्बे चले शरणार्थी संकटों, कुछ देशों में आर्थिक विपदाओं, और यूक्रेन में युद्ध के कारण, राहत नहीं मिली है. जबकि यूक्रेन युद्ध ने खाद्य महंगाई पर बहुत व्यापक असर छोड़ा है.
उन्होंने कहा, “और इस सबके ऊपर, अब हमारे सामने एक क्षेत्रीय युद्ध है, और इसे रोका जाना होगा क्योंकि परिवार अब इसका सामना नहीं कर सकते.”
ग़ाज़ा में ख़ाली स्थान बचे ही नहीं
WFP की वरिष्ठ अधिकारी ने जुलाई के अन्तर में ग़ाज़ा का दौरा किया और वहाँ एक सप्ताह रुककर हालात का जायज़ा लिया. ग़ाज़ा में लगभग 20 लाख लोग, बहुत कम स्थान में सिमटे हुए हैं. उन्होंने इसराइल के बेदख़ली आदेशों के बाद, लोगों को अफ़रा-तफ़री में भागते हुए भी देखा है.
कॉरिन फ़्लीशेर ने कहा कि अस्थाई शिविर, समुद्री किनारों पर पानी की रेखाओं तक बने हुए हैं, सड़कें लोगों की मौजूदगी से भरी हैं, जबकि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के बनाए हुए आश्रय स्थल खचाखच भरे हुए हैं. “ग़ाज़ा में बिल्कुल भी ख़ाली जगह नहीं बची है.”
उन्होंने UNRWA के एक ठिकाने का भी दौरा किया जहाँ लगभग 13 हज़ार लोग ठहरे हुए थे, जहाँ चलने-फिरने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह नज़र आती थी.
बेकरियों को खाद्य सहायता
कॉरिन फ़्लीशेर ने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम – WFP ने ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में असीम चुनौतियों के बावजूद, हर महीने खाद्य सहायता, ब्रैड और पोषण सामग्री मुहैया कराईं.
यूएन खाद्य सहायता एजेंसी, युद्ध के दौरान भी क्षेत्र के वाणिज्य को जीवित रखने में सहायता कर रही है.
अलबत्ता उन्होंने बताया कि ग़ाज़ा में मानवीय सहायता अभियान, और भी कठिन हो गए हैं.
सहायता कर्मियों को, अपने क़ाफ़िलों को इसराइली अधिकारियों की स्वीकृति के लिए बहुत लम्बे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, और उसके बाद भी उन्हें अनेक चौकियों पर इन्तेज़ार करना पड़ता है. सड़कें पहले ही तबाह हो चुकी हैं, और आने वाली सर्दियों में, आवागम के रास्ते और भी दुर्गम हो जाएंगे.
यूक्रेन में थकान और विस्थापन
कॉरिन फ़्लीशेर ने यूक्रेन का ज़िक्र करते हुए बताया कि उन्होंने एक पखवाड़ा पहले सूमी प्रान्त का दौरा किया था, और वहाँ भी हालात बहुत ख़राब हैं.
वहाँ उन्होंने ऐसे लोगों से मुलाक़ात की जिनके घर तबाह हो चुके हैं और “आप उनके चेहरों पर कई बार विस्थापित होने की थकान देख सकते हैं.”
विश्व खाद्य कार्यक्रम – WFP छह साल पहले यूक्रेन से निकल गई थी मगर फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के पूर्ण आक्रमण के बाद उसे सहायता के लिए वहाँ फिर लौटना पड़ा है. यूएन खाद्य सहायता एजेंसी की टीमों ने यूक्रेन में लगभग 20 लाख लोगों तक नक़दी और खाद्य सहायता पहुँचाई है, जो मुख्य रूप से अग्रिम मोर्चों पर रहते हैं.