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UNRWA ‘विघटन बिन्दु’ के निकट, एजेंसी प्रमुख की चेतावनी

UNRWA ‘विघटन बिन्दु’ के निकट, एजेंसी प्रमुख की चेतावनी

इस एजेंसी को अपना कामकाज करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा से शासनादेश मिलता है. 

एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने यूएन महासभा को सम्बोधित एक पत्र में कहा है कि एजेंसी की उस शासनादेश को पूरा करने की क्षमता “अब गम्भीर रूप से ख़तरे में है”.

उन्होंने पत्र में लिखा है, “केवल चार महीनों में ग़ाज़ा में, दुनिया भर में किसी भी अन्य युद्ध में, सबसे अधिक बच्चे, अधिक पत्रकार, अधिक चिकित्सा कर्मी और अधिक संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी मारे गए हैं.”

उन्होंने कहा है कि UNRWA के 150 से अधिक परिसर बमबारी की चपेट में आए हैं, जिसमें 390 से अधिक लोग मारे गए और 1,300 घायल हुए हैं.

उन्होंने याद दिलाया, “संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के अनुसार, अकाल सामने है.”

एजेंसी प्रमुख ने, जनवरी में इसराइल द्वारा इसके 12 कर्मचारियों पर, 7 अक्टूबर हो इसराइल में हमास के भयानक आतंकवादी हमले में शामिल होने के आरोपों का सन्दर्भ देते हुए याद दिलाया कि उन्होंने सदभावना के साथ काम करते हुए, उन कर्मचारियों को तुरन्त बर्ख़ास्त कर दिया था, फिर भी, “अभी तक, इसरपाइल ने उन आरोपों के बारे में, एजेंसी को कोई सबूत मुहैया नहीं कराए हैं.”

यह आरोप सामने आने के तुरन्त बाद ही, 16 दाता देशों, ने एजेंसी के लिए 45 करोड़ डॉलर की सहायता को स्थगित करने की घोषणा कर दी थी जिका मतलब है कि नई दान धनराशि मिले बिना, मध्य पूर्व में इस एजेंसी का संचालन, मार्च 2024 से गम्भीर रूप से प्रभावित होगा.

जानबूझकर ग़लत जानकारी का फैलाव

एजेंसी प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है कि हाल के सप्ताहों में “कुछ इसराइली अधिकारियों ने, हमास के साथ UNRWA की मिली-भगत की बदनीयती के साथ बदनामी करने, UNRWA के संचालन को बाधित करने और एजेंसी को ख़त्म करने का आहवान करने का ठोस प्रयास किया है.”

उन्होंने कहा कि इन अभियानों ने, एजेंसी के स्टाफ़ की सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर दिया है, फ़लस्तीनी नागरिकों की सेवा करने के उसके शासनादेश में बाधा उत्पन्न की है और मेज़बान देश की सहमति के बिना कार्य करना असम्भव बना दिया है.

उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि हम क्षेत्रीय शान्ति, सुरक्षा और मानवाधिकारों पर गम्भीर प्रभाव डालने वाली, एक बड़ी आपदा के कगार पर हैं.”

उन्होंने कहा कि यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि UNRWA फ़लस्तीनियों और इसराइलियों दोनों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह “स्थिर भूमिका” के साथ-साथ, जीवनरक्षक मानवीय सेवाएँ भी मुहैया कराती है.

एक बुनियादी निर्णय

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है कि इसराइल द्वारा इस एजेंसी को बन्द किए जाने का आहवान, इसकी तटस्थता पर चिन्ताओं के बारे में नहीं है, बल्कि “इसराइल के क़ब्जे वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में, शान्ति के लिए लम्बे समय से चले आ रहे, राजनैतिक मापदंडों को बदलने” के बारे में है.

उन्होंने कहा कि यूएन महासभा “अब एक बुनियादी निर्णय का सामना कर रही है”. या तो फ़लस्तीनियों के स्तर पर राजनैतिक परामर्श और समझौते के बिना ही, इस एजेंसी को किनारे कर दिया जाए, या संकट के इस क्षण को “शान्ति के लिए प्रोत्साहक क्षण” बनाने का विकल्प चुना जाए.

“ऐसी स्थिति में मैं, महासभा से यूएनआरडब्ल्यूए को बनाए रखने के लिए आवश्यक राजनैतिक समर्थन प्रदान करने का आग्रह करता हूँ”, या यूएनआरडब्ल्यूए को “लम्बे समय से प्रतीक्षित एक ऐसे राजनैतिक समाधान में तुरन्त परिवर्तित करने का मार्ग तैयार करने का आग्रह करता हूँ जो फ़िलस्तीनियों और इसराइलियों के लिए शान्ति ला सकता हो.”

 

महासभा के सदस्यों ने अगर एजेंसी को बनाए रखने का फ़ैसला किया, तो उन्होंने इसके वित्तीय ढाँचे में बदलाव का आहवान किया है, जो स्वैच्छिक योगदान पर निर्भरता को समाप्त कर दे, क्योंकि ये स्वैच्छिक योगदान, “इस एजेंसी को व्यापक राजनैतिक विचारों के प्रति कमज़ोर बनाता है”.

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