बाज़ार में उतरने के लिए तैयार ये औद्योगिक समाधान, वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) से समर्थित UNIDO की कम कार्बन प्रौद्योगिकी परिनियोजन (FLCTD) सुविधा के तहत मान्यता प्राप्त हैं.
वर्ष 2016 में UNIDO, GEF और भारत सरकार के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की साझेदारी में शुरू की गई यह निम्न कार्बन परियोजना FLCTD, ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में में नवाचारों को गति देती है.
इस परियोजना का उद्देश्य, ऊर्जा बचाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता वाले नवीन प्रौद्योगिकी समाधानों की पहचान व विकास करना है.
ऊर्जा दक्षता शिखर सम्मेलन के दौरान, UNIDO के FLCTD की परियोजना को, ऊर्जा प्रबन्धन में उत्कृष्टता के लिए, CII से 2024 के “ऊर्जा दक्षता का उच्च प्रभाव कार्यक्रम” पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
औद्योगिक विकास अधिकारी गेर्सविन मैकूर का कहना है, “यह शिखर सम्मेलन, UNIDO, छोटे व्यवसायों तथा बड़े उद्योगों के लिए मिलने-जुलने, बातचीत करने और ऊर्जा दक्षता के समाधानों को समझने का एक बड़ा अवसर है.”
“FLCTD के ज़रिए, हमने कुछ नई कम्पनियों और व्यवसायों के उदाहरण प्रदर्शित किए हैं, जिन्होंने अब अपने नवाचारों का व्यावसाईकरण करके, उन्हें बाज़ार में उतारा है. हमने उद्योग को यह भी दिखाया कि नवप्रवर्तन से क्या-कुछ सम्भव हो सकता है.”
नवप्रवर्तकों को FLCTD के ज़रिए, प्रौद्योगिकी विकास एवं व्यवसायीकरण के पहलुओं पर क्षमता निर्माण के साथ-साथ, वास्तविक जीवन की विभिन्न स्थितियों में फ़ील्ड परीक्षण आयोजित करने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है.
इससे उभरती जलवायु प्रौद्योगिकियों से जुड़े जोखिमों को कम करने व उन्हें तेज़ी से अपनाने में मदद मिलती है.
FLCTD विशिष्ट उच्च क्षमता वाले निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी नवाचारों की पहचान व उनका उपयोग, तथा सत्यापन एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के अलावा, ज्ञान-आधारित संस्थानों के साथ सीधे काम करके भारत में जलवायु-केन्द्रित प्रौद्योगिकियों की ओर बदलाव को मज़बूती देने के प्रयासों में लगा है.
FLCTD की स्थापना के बाद से इसके तहत छह वार्षिक नवाचार चुनौतियाँ लागू की जा चुकी हैं, जिनके लिए विस्तार एवं व्यावसायीकरण हेतु, 88 विजेता नवाचारों को चुना गया है.
अब तक, इस परियोजना के विजेताओं को व्यवसाय में मदद और प्रौद्योगिकी सत्यापन के लिए 30.6 करोड़ रुपए (यानि 38 लाख अमेरिकी डॉलर) देने का वादा किया जा चुका है.
भारत के 210 से अधिक औद्योगिक स्थलों पर सत्यापन करके विजेताओं का चयन किया गया. अब तक, 43 प्रौद्योगिकियों को मान्यता प्रदान की गई है और 33 प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण किया जा चुका है.
इसके अलावा, जलवायु-तकनीक से सम्बन्धित 67 लघु व नई कम्पनियों और व्यवसायों को निम्न-कार्बन एक्सेलेरेटर कार्यक्रम के ज़रिए, परामर्श प्राप्त हुआ, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले 17 व्यवसाय भी शामिल थे.
गेर्सविन मैककुर शिखर सम्मेलन के नतीजों को लेकर कहते हैं, “आमतौर पर, उद्योग पूर्णत: स्थापित प्रौद्योगिकियों में अधिक रुचि रखता है, लेकिन यहाँ हमने उन्हें ऊर्जा दक्षता के लिए रोमांचक, नवीन रचनात्मक समाधान पेश किए हैं.”
“कई लघु व्यवसायों ने बताया है कि सम्मेलन के बाद अनेक उद्योगपतियों ने उनसे सम्पर्क किया है, और सम्भावित सौदों पर बातचीत चल रही है.”
अगले कुछ वर्षों में, भारत में UNIDO का ध्यान ‘सतत और कार्बन रहित विनिर्माण’ पर रहेगा.
इसके तहत उन समाधानों (उत्पादों, तकनीकों या सेवाओं) की पहचान, विकास और अपनाने को प्राथमिकता दी जाएगी, जो विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति को, प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते उपयोग तथा पर्यावरणीय प्रभावों के असर से दूर रखते हैं.