प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान ने कहा कि दुनिया भर में संकटों में वृद्धि हुई है, और दुर्भाग्य से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, उनके ठोस समाधान तलाश करने के बजाय, उनके प्रबन्धन के लिए मूक दर्शक बना हुआ है.
उन्होंने संवाद और सहयोक की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए कहा, “देशों के दरम्यान तनावों के इस सन्दर्भ में, हम राजनैतिक ध्रुवीकरण के विरुद्ध आगाह करते हैं.”
प्रिंस फ़ैसल ने कहा कि सऊदी अरब “इसराइल द्वारा हमारे आत्मीय फ़लस्तीनी जन के ख़िलाफ़ किए जा रहे तमाम अपराधों को सख़्ती से रद्द करता है.” ग़ाज़ा युद्ध, फ़लस्तीनी लोगों की तकलीफ़ों में सबसे हालिया अध्याय है.
उन्होंने बताया कि सऊदी अरब ने नवम्बर 2023 में, इस संकट पर, अरब-इसराइली शिखर बैठक आयोजित की थी और ऐसे प्रस्तावों और निर्णयों के लिए प्रयास किए जिनमें अरब और मुस्लिम लोगों की इच्छा नज़र आती थी. वो इच्छा थी कि रक्तपात रोका जाए, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति का रास्ता साफ़ किया जाए, और फ़लस्तीनी लोगों की जायज़ मांगों को हक़ीक़त में तब्दील किया जाए, जिनमें विशिष्ट मांग है – एक स्वतंत्र देश का सृजन.
उन्होंने कहा कि इसलिए सऊदी अरब यूएन महासभा के 10 मई 2024 के उस प्रस्ताव का स्वागत करता है जिसमें कहा गया है कि फ़लस्तीन देश, संयुक्त राष्ट्र का एक सदस्य देश बनने के लिए, सभी शर्तें पूरी करता है.
प्रिंस फ़ैसल ने कहा कि सऊदी अरब ने, ग़ाज़ा में अक्टूबर (2023) में युद्ध भड़कने के बाद से फ़लस्तीनी लोगों की मदद के लिए 5 अरब डॉलर से अधिक की रक़म मुहैया कराई है, और उनका देश 106 अरब डॉलर की लागत वाली मानवीय परियोजनाएँ चलाने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय और यूएन सहायता एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि फ़लस्तीनी संकट का एक न्यायसंगत समाधान तलाश किया जाना बहुत ज़रूरी है और दंडमुक्ति माहौल क़ायम रहने और क़ानूनी ज़िम्मेदारियों को सम्मान के अभाव, से इसराइल को युद्ध भड़काए रखने के लिए शह मिल रही है.
‘रियायत और विकास’
सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने, वृहद क्षेत्र का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके देश ने ‘रियायत और विकास’ की दिशा में क़दम उठाते हुए उपाय किए हैं, जिनमें ईरान के साथ कूटनैतिक सम्बन्ध बहाल करने के लिए एक समझौता भी शामिल है.
उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि ईरान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करेगा, विशेष रूप में उसके परमाणु कार्यक्रम और उसके बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के मुद्दों पर.”
प्रिंस फ़ैसल ने कहा कि सऊदी अरब ने युद्धग्रस्त सीरिया के साथ भी, साझा मुद्दों पर सहयोग मज़बूत करने के लिए सम्बन्ध बहाल किए हैं, क्योंकि हम यह मानते हैं कि संकट का कोई समाधान तलाश करने से, हम सभी अपने क्षेत्र में शान्ति व स्थिरता क़ायम करने के क़ाबिल हो सकेंगे.
उससे भी आगे, सऊदी अरब, यमन और लाल सागर में संकट का समाधान तलाश करने के भी सभी प्रयासों का समर्थन दे रहा है, जहाँ हूथी विद्रोहियों द्वारा किए जा रहे हमलों , अन्तरराष्ट्रिया समुद्रीय व्यापार के लिए जोखिम उत्पन्न हो गया है.
उन्होंने कहा कि सूडान में भी शान्ति व स्थिरता क़ायम करने के लिए, सऊदी अरब ने अपना समर्थन पुष्ट किया है. इन प्रयासों में जेद्दाह में शान्ति वार्ताओं की मेज़बानी भी शामिल है.
इस बीच, “अफ़ग़ानिस्तान को भी क्षेत्र और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की नज़रों से अनदेखा नहीं छोड़ा जा सकता, नहीं तो वहाँ आतंकवादियों का दबदबा हो जाएगा.”
“इसलिए अफ़ग़ानिस्तान में ऐसी मानवीय और सुरक्षा स्थिति को रोका जाना ज़रूरी है जो विभिन्न गुटों और लड़ाकों को अपनी गतिविधियाँ चलाने के लिए उपजाऊ ज़मीन मुहैया करा रही है.“
सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, रूसी-यूक्रेनी युद्ध का अन्त करना होगा, और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस इस सम्बन्ध में अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं.