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Swami Chinmayanand: यौन शोषण मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद बरी, 13 साल पहले छात्रा ने लगाया था रेप का आरोप

2011 Shahjahanpur rape case: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्‍वामी चिन्‍मयानंद (Swami Chinmayanand Case) को गुरुवार को एक शिष्या के साथ यौन शोषण के मामले में सबूत के अभाव में दोषमुक्त करार देते हुए बाइज्जत बरी दिया। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के वकील फिरोज हसन खान ने पीटीआई को बताया कि स्थानीय MP-MLA कोर्ट के अपर जिला जज एहसान हुसैन ने गुरुवार (1 फरवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्‍य के अभाव में स्‍वामी चिन्‍मयानंद को बरी कर दिया।

शाहजहांपुर शहर में ही स्थित मुमुक्षु शिक्षा संस्थान के अधिष्ठाता एवं पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पर उन्हीं के कॉलेज में पढ़ाने वाली उनकी एक शिष्या ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपनी तहरीर में स्वामी चिन्मयानंद पर दुराचार का आरोप लगाया था, जिसका मामला शहर कोतवाली पुलिस ने 30 नवंबर 2011 को दर्ज किया था। मामले की विवेचना पूरी करने के बाद पुलिस ने आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया था, जिसके बाद सुनवाई चल रही थी।

बाइज्जत बरी

वकील ने कहा कि इस मामले में 6 गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए तथा शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने भी बहस की है। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से मेडिकल तथा पीड़िता के अलावा रिपोर्ट दर्ज करने वाले लेखक खुर्शीद तथा रेडियोलाजिस्ट एमपी गंगवार तथा बीपी गौतम ने गवाही दी है। खान ने बताया कि अदालत ने स्वामी चिन्मयानंद को इस मामले में दोषी न पाते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने साल 2011 में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मामले को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से कोर्ट को पत्र भेजा था। लेकिन पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मामला वापस नहीं लेना चाहती है। इसलिए मामला वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था। साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया गया था।

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इसके बाद चिन्मयानंद ने केस वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। जब हाई कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी उनकी अपील खारिज कर दी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट से यौन शोषण मामले में स्वामी चिन्मयानंद को 19 दिसंबर, 2022 को अग्रिम जमानत मिल गई थी। तबसे यह मामला अदालत में विचाराधीन था।

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