ज़ी एंटरटेनमेंट लिमिटेड (ZEEL) ने सोनी के साथ मर्जर से जुड़े कंप्लायंस पर सितंबर 2023 तक 366.59 करोड़ रुपये खर्च किए। हालांक, यह मर्जर पूरी नहीं हो पाया। ज़ी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2023 में इस मर्जर पर 176.20 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में मर्जर से जुड़ी प्रक्रिया पर उसका खर्च 190.39 करोड़ रुपये था।
एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के बाद ज़ी ने तेजी से सेबी (SEBI), कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI), आरओसी (ROC) आदि से मंजूरी हासिल करनी शुरू कर दी थी। शेयरहोल्डर्स और क्रेडिटर्स से मंजूरी मिलने के बाद कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) से भी इसकी हरी झंडी मिल गई थी और कंपनी ने मर्जर से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थी। हालांकि, सोनी ग्रुप (Sony Group) ने 22 जनवरी को अपने मर्जर को वापस लेने का ऐलान किया। मर्जर को लेकर मुख्य गतिरोध नई इकाई का पद CEO पद संभालने को लेकर था।
सोनी ने ज़ी को टर्मिनेशन नोटिस भेजने के साथ-साथ मर्जर की शर्तों के उल्लंघन के मामले में ब्रेक-अप फीस के तौर पर 9 करोड़ डॉलर की भी मांग की है। हालांकि, ज़ी का कहना है कि वह कानूनी तौर पर इसे चुनौती देगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस वजह से निकट भविष्य में ज़ी के शेयरों पर दबाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा, ब्रॉडकास्टिंग बिजनेस में भी कुछ बदलाव दिख सकता है, क्योंकि ग्लोबल मीडिया कंपनी वॉल्ट डिज्नी कंपनी (Walt Disney Co) ने पिछले महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ गैर-बाध्यकारी समझौता किया है।
अगर जी-सोनी का मर्जर पूरा हो जाता है, तो यह भारत में मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर की सबसे बड़ी डील होती और इस इकाई के पास 100 से ज्यादा चैनल और दो अहम ओटीटी प्लैटफॉर्म रहते। इसके मुकाबले मर्जर वाली इकाई का कॉम्पिटिशन डिज्नी स्टार आदि के साथ होता। एलारा कैपिटल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट करुण तिवारी का कहना है कि मर्जर डील के टर्मिनेशन से दोनों पक्षों पर नकारात्मक असर होगा।