मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने मर्चेंट बैंकर कार्वी इन्वेस्टर सर्विसेज (KISL) का इनवेस्टमेंट बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह आदेश SEBI ने आज 27 मार्च को जारी किया है। मार्केट रेगुलेटर ने अपनी जांच में पाया कि मर्चेंट बैंकर के पास अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जरूरी इन्फ्रॉस्ट्रक्चर जैसे – पर्याप्त ऑफिस स्पेस, इक्विपमेंट और मैनपावर नहीं था। इतना ही नहीं, कंपनी के एम्प्लॉयमेंट में मर्चेंट बैंकिंग बिजनेस के संचालन में अनुभव रखने वाले कम से कम दो शख्स भी नहीं थे।
क्या है पूरा मामला
जांच में पाया गया कि KISL का कामकाज इसके रजिस्टर्ड एड्रेस और कॉर्पोरेट ऑफिस से ऑपरेट नहीं किया जा रहा था। जांचकर्ताओं को बताया गया कि KISL ने अपना कोरेस्पोंडेंस एड्रेस एक नए लोकेशन पर शिफ्ट कर दिया है। वहीं, रजिस्टर्ड एड्रेस पर कार्वी डेटा मैनेजमेंट सर्विसेज (KDMSL) काम करती हुई पाई गई। KDMSL के मैनेजिंग डायरेक्टर वी महेश ने सेबी अधिकारियों को बताया कि KISL वित्त वर्ष 2020 से ही इस एड्रेस पर काम नहीं कर रही है।
इतना ही नहीं, नए कोरेस्पोंडेंस एड्रेस की जांच पर सेबी अधिकारियों ने पाया कि इस ऑफिस से भी पिछले दो साल से कंपनी कामकाज नहीं कर रही है। KISL के डायरेक्टर्स में से एक कोमांदुर पार्थसारथी, कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड (KSBL) में भी डायरेक्टर थे, जिसे 2019 और 2020 में पारित आदेशों के माध्यम से नए ग्राहकों को लेने से रोक दिया गया था।
KISL पर सेबी के आदेश में कहा गया है, “KSBL और उसके डायरेक्टर की सिक्योरिटी मार्केट से जुड़े मुकदमे में शामिल होने से नोटिस प्राप्तकर्ता (KISL) के बिजनेस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, इस अधिनियम ने MB रेगुलेशन के रेगुलेशन 6 (gg) के प्रावधान का भी उल्लंघन किया है, जिसके लिए एक मर्चेंट बैंकर को एक फिट और प्रॉपर पर्सन होना जरूरी है।” इसके अलावा, KSBL का KISL में कंट्रोलिंग इंटरेस्ट था और KSBL ने कानून के अनुसार अपनी डिस-क्वालिफिकेशन के छह महीने के भीतर KISL में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेची थी।