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SEBI ने इक्विटी कैश सेगमेंट के लिए T+0 और इंस्टैंट सेटलमेंट का प्रस्ताव पेश किया

SEBI ने इक्विटी कैश सेगमेंट के लिए T+0 और इंस्टैंट सेटलमेंट का प्रस्ताव पेश किया

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने इक्विटी कैश सेगमेंट में T+1 सेटलमेंट साइकल के अलावा ़ T+0 के विकल्प और ट्रेड्स के इंस्टैंट सेटलमेंट के लिए प्रस्ताव पेश किया है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने 22 दिसंबर को जारी कंसल्टेशन पेपर में कहा, ‘ आज के दौर में ट्रांजैक्शंस के लिए विश्वसनीयता, लो कॉस्ट और हाई स्पीड ऐसे फीचर्स हैं, जो किसी खास एसेट क्लास में निवेशकों को आकर्षित करते हैं। ऐसे में सेटलेमेंट टाइम को कम करना और ऑपरेशनल बेहतरी के जरिये उस एसेट क्लास में निवेशकों को बनाए रखा जा सकता है।’

पेपर के मुताबिक, ‘ऐसे में यह माना गया है कि इक्विटी कैश सेगमेंट के लिए मौजूदा T+1 सेटलमेंट साइकल के अलावा विकल्प के तौर पर छोटे सेटलमेंट साइकल की शुरुआत की जा सकती है।’ मार्केट रेगुलेटर की योजना इसे अलग-अलग चरणों में लागू करने की है।

पहले चरण में दोपहर के 1.30 बजे तक के ट्रेड के आधार पर वैकल्पिक T+0 साइकल को लागू किया जाएगा। इसके बाद, फंडों और सिक्योरिटीज के सेटलमेंट को शाम 4.30 बजे तक पूरा किया जाएगा।

दूसरे चरण में दोनों फंडों और सिक्योरिटीज के लिए तुरंत ट्रेड टू ट्रेड सेटलमेंट का विकल्प होगा। ऐसी स्थिति में ट्रेडिंग शाम 3.30 बजे तक किया जाएगा। कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, दूसरे चरण के वैकल्पिक इंस्टैंट सेटलमेंट के लागू होने के बाद पहले चरण का वैकल्पिक T+0 सेटलमेंट पूरा हो जाएगा। शुरुआत में T+0 सेटलमेंट के लिए योग्य सिक्योरिटीज मार्केट कैपिटल के हिसाब से 500 लिस्टेड कंपनियां होंगी।

इन कंपनियों को 200, 200 और 100 के हिसाब से नए सेटलमेंट साइकल में लाया जाएगा। यह साइकल सबसे कम से सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों के क्रम में होगा। हालांकि, इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि इस सिस्टम से क्लाइंट्स के लिए फंडिंग कॉस्ट बढ़ सकती है। इस बारे में रेगुलेटर का कहना था कि रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऑर्डर देने से पहले अपफ्रंट फंड और सिक्योरिटीज मिलते हैं।

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