Rohith Vemula Death Case: तेलंगाना पुलिस ने शुक्रवार (3 मई) को रोहित वेमुला मौत मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर कर सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में 17 जनवरी 2016 को समाजशास्त्र विभाग के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। उसकी आत्महत्या का मामला काफी समय तक सुर्खियों में रहा। आज भी इस बारे में अक्सर बात होती है।
न्यूज 18 के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि वेमुला ने खुदकुशी इसलिए कर ली, क्योंकि वह कई कारणों से तनावग्रस्त था। क्लोजर रिपोर्ट में बताया गया कि रोहित दलित नहीं था और उसकी मृत्यु इसलिए हुई क्योंकि उसे डर था कि उसकी असली जाति की पहचान सबको पता चल जाएगी।
तेलंगाना पुलिस ने तत्कालीन सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय, विधान परिषद के सदस्य एन रामचंदर राव और कुलपति अप्पा राव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेताओं और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को दोषमुक्त कर दिया है।
जनवरी 2016 में रोहित वेमुला की खुदकुशी से मौत के कारण देश भर के कई विश्वविद्यालयों में दलितों के खिलाफ भेदभाव को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। उस वक्त विपक्षी पार्टियों ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला था।
पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर मृतक की पढ़ाई देखी जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपनी पढ़ाई के बजाय कैंपस में छात्र राजनीतिक मुद्दों में अधिक शामिल था। उन्होंने अपनी पहली पीएचडी को 2 साल तक करने के बाद बंद कर दिया। फिर वह दूसरी पीएचडी में शामिल हो गए, जिसमें भी गैर शैक्षणिक गतिविधियों के कारण ज्यादा प्रगति नहीं हुई।”
जाती के खुलासे का था डर
रिपोर्ट के मुताबिक, वेमुला इस बात से अवगत था कि उसकी मां ने उसके लिए एससी सर्टिफिकेट की व्यवस्था की थी और उसे चिंता थी कि अगर उसके साथियों को इसके बारे में पता चला तो उसकी प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, मृतक को खुद पता था कि वह अनुसूचित जाति से नहीं है और उसकी मां ने उसे एससी सर्टिफिकेट कहीं से दिलाया था। यह रिपोर्ट तेलंगाना में 13 मई को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक 10 दिन पहले आई है।