दिसंबर में खुदरा महंगाई दर (headline retail inflation) चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 5.69 पर्सेंट रही। नवंबर में महंगाई दर 5.55 पर्सेंट थी। हालांकि, महंगाई दर अनुमान से कम रही है। अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर में महंगाई दर 5.9 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया था।
महंगाई दर लगातार 51 महीनों से रिजर्व बैंक के मीडियम-टर्म टारगेट (4 पर्सेंट) से ज्यादा है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने अक्टूबर-दिसंबर के दौरान महंगाई दर 5.6 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया था। महंगाई दर में बढ़ोतरी में मुख्य वजह बेस इफेक्ट का अनुकूल नहीं होना है। बहरहाल, दिसंबर में कीमतों में बढ़ोतरी में पिछले महीने के मुकाबले मामूली गिरावट देखने को मिली। मिसाल के तौर पर कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स में मासिक आधार पर 0.9 पर्सेंट की गिरावट थी, जबकि सब्जियों से जुड़े प्राइस इंडेक्स में पिछले महीने के मुकाबले 5.3 पर्सेंट की कमी आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दिसंबर महीने में बढ़कर 9.53 पर्सेंट हो गई हो गई, जो इससे पिछले महीने 8.7 पर्सेंट और एक साल पहले के इसी महीने में 4.9 पर्सेंट थी। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है। उसे महंगाई दो पर्सेंट घट-बढ़ के साथ चार पर्सेंट पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
दिसंबर में खुदरा कीमतों में अनुमान से कम बढ़ोतरी नीति निर्माताओं के लिए राहत भरी खबर हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) द्वारा 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने से पहले महंगाई दर का यह आखिरी आंकड़ा है। साथ ही, रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी 8 फरवरी को अपनी बैठक में ब्याज दरों को लेकर फैसला करेगी। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने पिछले 5 महीनों में रेपो रेट को 6.5 पर्सेंट पर स्थिर रखा है।