भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अहम फैसला लेते हुए HSBC पर लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है। RBI ने बुधवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के लिए विदेशी ऋणदाता एचएसबीसी पर 36.38 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने बयान में कहा कि एचएसबीसी ने फेमा कानून, 1999 की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme) के तहत जरूरी सूचनाएं देने के प्रावधान का पालन नहीं किया है।
उल्लंघन की पुष्टि
इस संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने एचएसबीसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। बैंक ने नोटिस का लिखित जवाब देने के साथ मौखिक रूप से भी अपना पक्ष रखा था। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘मामले से जुड़े तथ्यों और बैंक की तरफ से आए जवाब पर विचार करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई और जुर्माना लगाना उचित था।’’
एडलवाइस ग्रुप पर कार्रवाई
इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को एडलवाइस ग्रुप की कर्ज और संपत्ति पुनर्निर्माण इकाइयों पर कारोबारी पाबंदियां लगाईं। मौजूदा कर्ज के लौटाने में चूक को टालने के लिए नये कर्ज देने को लेकर चिंता के बीच यह कदम उठाया गया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक ने ईसीएल फाइनेंस लि. (ईसीएल) को अपने थोक कर्ज के संबंध में संरचनात्मक लेनदेन से दूर रहने को कहा है। इसमें पुनर्भुगतान और/या खातों को बंद करने के कदम को शामिल नहीं किया गया है।
अधिग्रहण से दूर
आरबीआई ने एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लि. (ईएआरसीएल) के मामले में इकाई को ‘सिक्योरिटी रिसीट’ सहित वित्तीय संपत्तियों के अधिग्रहण से दूर रहने को कहा है। आरबीआई के बयान में कहा गया है कि दोनों कार्रवाई तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी हैं।
वहीं हाल के दिनों में आरबीआई ने पुराने कर्ज के चूक से बचाने को लेकर नये ऋण के लिए इस्तेमाल (एवरग्रनिंग ऑफ लोन) किए जा रहे वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के बारे में चिंता जतायी थी और वित्त उपलब्ध कराने वालों से ऐसे निवेश के लिए अधिक राशि अलग रखने को कहा था।
केंद्रीय बैंक गड़बड़ी करने वाली इकाइयों पर कारोबारी पाबंदिया भी लगा रहा है। इससे पहले, आईआईएफएल फाइनेंस को स्वर्ण ऋण देने से रोक और जे एम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध लगाया गया था।