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OYO जल्द करेगी IPO के लिए फिर से अप्लाई, फाइनल करने वाली है 45 करोड़ डॉलर तक का रिफाइनेंसिंग प्लान

OYO जल्द करेगी IPO के लिए फिर से अप्लाई, फाइनल करने वाली है 45 करोड़ डॉलर तक का रिफाइनेंसिंग प्लान

OYO IPO: रितेश अग्रवाल की कंपनी ओयो अपने आईपीओ के​ लिए दोबारा आवेदन करने के लिए तैयार है। ओयो में जापान के दिग्गज इनवेस्टमेंट ग्रुप सॉफ्टबैंक का भी पैसा लगा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कंपनी डॉलर बॉन्ड की बिक्री के माध्यम से 45 करोड़ डॉलर तक जुटाने की अपनी रिफाइनेंसिंग योजना को अंतिम रूप देने के करीब है। रिपोर्ट में सोर्सेज के हवाले से कहा गया है कि जेपी मॉर्गन 9 से 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की अनुमानित ब्याज दर पर डॉलर बॉन्ड की बिक्री के माध्यम से रिफाइनेंसिंग के लिए संभावित लीड बैंकर है।

OYO ने पहले ही अपने मौजूदा ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को वापस लेने के लिए कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास आवेदन दायर कर दिया है। कंपनी का इरादा बॉन्ड जारी होने के बाद DRHP के अपडेटेड वर्जन को फिर से दाखिल करने का है। सितंबर 2021 में OYO ने 8430 करोड़ रुपये के IPO के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास प्रारंभिक दस्तावेज दाखिल किए थे। तत्कालीन अस्थिर बाजार स्थितियों के कारण आईपीओ की लॉन्चिंग में देरी हुई, जिससे कंपनी को शुरुआती लक्ष्य 11 अरब डॉलर के बजाय लगभग 4-6 अरब डॉलर की कम वैल्यूएशन पर समझौता करने के लिए तैयार होना पड़ा।

बायबैक की मदद से कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चुका चुकी है OYO

OYO की मूल कंपनी Oravel Stays Ltd ने नवंबर में बायबैक प्रक्रिया के माध्यम से अपने कर्ज के एक बड़े हिस्से 1,620 करोड़ रुपये का वक्त से पहले भुगतान किया था। बायबैक में 66 करोड़ डॉलर के बकाया टर्म लोन बी की 30 प्रतिशत पुनर्खरीद शामिल थी। इस कदम से कंपनी की बकाया ऋण राशि घटकर लगभग 45 करोड़ डॉलर रह गई। कंपनी की आईपीओ योजना से जुड़े एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘रिफाइनेंसिंग के परिणामस्वरूप ओयो के वित्तीय विवरणों में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। इसलिए मौजूदा नियमों के अनुसार, उसे सेबी के साथ अपनी फाइलिंग को संशोधित करने की जरूरत होगी। चूंकि रिफाइनेंसिंग का फैसला एडवांस स्टेज में है, इसलिए वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ आईपीओ अप्रूवल जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए मौजूदा आवेदन को वापस लेना ही समझदारी है।’

रिफाइनेंसिंग से फायदा

कहा गया है कि रिफाइनेंसिंग, रिपेमेंट की समयसीमा को 5 साल तक बढ़ा देगी। अभी शेष टीएलबी के रिपेमेंट के लिए 2026 तक का वक्त है। बॉन्ड जारी करने से ओयो की मौजूदा 45 करोड़ डॉलर टर्म लोन बी (टीएलबी) फैसिलिटी पर 14 प्रतिशत की मौजूदा प्रभावी ब्याज दर काफी कम हो जाएगी। बॉन्ड जारी करने से जुड़ी लागतों का हिसाब लगाने के बाद, रिफाइनेंसिंग से पहले वर्ष में वार्षिक ब्याज पर 80 लाख से लेकर 1 करोड़ डॉलर (66.4-83 करोड़ रुपये) की बचत होने की उम्मीद है। कंपनी को इसके बाद 1.5-1.7 करोड़ डॉलर (124.5-141.1 करोड़ रुपये) की वार्षिक बचत का अनुमान है, जिसका लगभग पूरा हिस्सा उसके शुद्ध मुनाफे में जुड़ जाएगा। डेट रिफाइनेंसिंग के बाद, ओयो अपनी वित्तीय ताकत को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक लिस्टिंग से पहले निवेशकों के विश्वास की पुष्टि करने के लिए एक इक्विटी राउंड पर विचार करने के लिए तैयार है।

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