एग्जिट पोल के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सरकार बनाने के संकेत दिए हैं। अगर फाइनल नतीजे एग्जिट पोल जैसे रहते हैं तो नई सरकार के पूर्ण बजट में न सिर्फ अंतरिम बजट की झलक दिखेगी बल्कि सरकारी की वित्तीय सेहत बेहतर करने पर भी फोकस बढ़ेगा। सरकार का फोकस पूंजीगत खर्च पर बना रहेगा। साथ ही घरेलू निवेश बढ़ाने के उपाय बजट में शामिल होंगे। इस बारे में जानने के लिए मनीकंट्रोल ने एमके ग्लोबल की मुख्य इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा से बातचीत की। उनका मानना है कि इलेक्शंस से जुड़ी प्रक्रिया खत्म होने के बाद सरकार का फोकस पूर्ण बजट पर होगा, जिसे जुलाई में पेश किया जा सकता है।
अरोड़ा का मानना है कि सरकार का फोकस पूर्ण बजट में रिफॉर्म्स पर होगा। अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों ने इकोनॉमी के अच्छे प्रदर्शन के संकेत दिए हैं। FY24 में इंडिया की जीडीपी ग्रोथ 8.2 फीसदी रहने की उम्मीद है। ऐसे में नई सरकार का शुरू से ही फोकस कैपिटल एक्सपेंडिचर और फिस्कल कंसॉलिडेशन पर होगा। आरबीई से 2.1 लाख करोड़ डिविडेंड मिलने से सरकार का हौसला बुलंद है। इससे सरकार को FY25 में फिस्कल डेफिसिट में 0.2-0.4 फीसदी कमी लाने में मदद मिल सकती है।
FY24 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट 5.6 फीसदी रहा। यह सरकार के 5.8 फीसदी अनुमान से कम है। इसमें खर्च में सरकार के सख्ती बरतने का बड़ा हाथ है। सरकार ने खर्च के मोर्चे पर बेहतर स्थिति को देखते हुए इस वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को 70 बेसिस प्वाइंट्स घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार कह चुकी हैं कि सरकार की कोशिश वित्त वर्ष 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को घटाकर 4.5 फीसदी तक लाने की है।
सरकार पहले से 100 दिन के एजेंडा पर काम कर रही है। एग्जिट पोल के नतीजों के बाद 2 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मीटिंग की थी। इसमें नई सरकार के 100 दिन के प्रोग्राम के रोडमैप पर भी बातचीत हुई थी। मई में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पीएम मोदी की तीसरी बार सरकार बनाने पर टैक्स बैक्स को बढ़ाने पर पर फोकस होगा। सभी एसेट क्लासेज के लिए सरकार एकसमान व्यवहार में जोर देगी। पूर्ण बजट में अभी कुछ समय बचा है। इसे अगले महीने पेश किया जा सकता है। इस बीच सरकार के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करने का पर्याप्त समय है।