भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के लिए नए इंवेस्टर्स तेजी से इंडेक्स फंड को तरजीह दे रहे हैं। यह स्टडी बताती है कि लंबी अवधि में संपत्ति बनाने की चाह रखने वाले इंवेस्टर्स के बीच इंडेक्स फंड लोकप्रिय हो रहे हैं। ये फंड किसी खास मार्केट इंडेक्स की नकल करते हैं और ट्रांसपेरेंट इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी देते हैं। इंडेक्स फंड बाजार के परफॉर्मेंस को मैच करने का प्रयास करते हैं, यही इनकी और एक्टिव फंडों के बीच सबसे बड़ा अंतर है। एक्टिव फंड बाजार को लगातार हराने का प्रयास करते हैं।
इंडेक्स फंड किसी इंडेक्स, जैसे BSE Sensex या NSE Nifty 50 की स्ट्रक्चर को दर्शाते हुए उसका एमुलेशन करते हैं। यह इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी एक्टिव रूप से फंड मैनेज करने के तरीके से अलग है, जहां फंड मैनेजर बेहतर पोर्टफोलियो बनाने के लिए लगातार एनालिसिस करते हैं।
इंडेक्स फंड के लोकप्रिय होने के कारण
ट्रांसपेरेंसी
ये फंड बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के बजाय लॉन्ग टर्म ट्रेंड पर ध्यान केंद्रित करते हैं। साथ ही, फंड में उन्हीं कंपनियों को शामिल किया जाता है जो उस इंडेक्स में हैं, जिससे इंवेस्टर को पता होता है कि उनके फंड में कौन सी कंपनियां शामिल हैं।
डायवर्सिफिकेशन
इंडेक्स फंड अपने आप विभिन्न क्षेत्रों और कंपनियों में निवेश कर देते हैं। इससे खतरा कम होता है क्योंकि आपका निवेश किसी एक कंपनी या सेक्टर पर निर्भर नहीं रहता।
मैनेजमेंट शुल्क और लेनदेन शुल्क एक्टिव फंड की तुलना में कम होते हैं।
इंडेक्स फंड लंबी अवधि में संपत्ति बनाने की इच्छा रखने वाले इंवेस्टर के लिए बेहतर ऑप्शन हैं। ये अपने आप अलग-अलग कंपनियों में निवेश कर खतरा कम करते हैं और बाजार के साथ बढ़ने में मदद करते हैं। इन्हें कम मॉनिटरिंग की जरूरत होती है, जो नए इंवेस्टर के लिए फायदेमंद है। कुल मिलाकर, इंवेस्टर्स को अपने खतरे उठाने की क्षमता और समय सीमा के हिसाब से एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का मिश्रण चुनना चाहिए।
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