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Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में रखा कदम, कई राजनीतिक दलों से रहा पांच बार विधायक

Mukhtar Ansari Death: पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की बृहस्पतिवार को बांदा के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अंसारी की मौत के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया। इस सब का पता आप को ऐसे लग जाएगा कि अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वो अलग-अलग राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया।

साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद की और अपने गिरोह की पैठ बनाने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा।

15 साल की उम्र में दर्ज हुआ पहला मामला

साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अंसारी खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था।

लगभग एक दशक बाद 1986 में, जब तक वह ठेका माफियाओं के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था, तब तक उसके खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था।

अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में पूरी तरह से अपने कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे। हालांकि, अपराध में बढ़ता अंसारी का कद राजनीति में उसकी एंट्री में कोई रुकावट नहीं बना।

पहली बार BSP के टिकट पर जीता चुनाव

अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा।

साल 2012 में, अंसारी ने कौमी एकता दल (QED) बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने फिर से मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते।

19 सालों से अलग-अलग जेल में बंद

63 साल का मुख्तार अंसारी पिछले 19 सालों से उत्तर प्रदेश और पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद रहा।

साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे और सितंबर 2022 से आठ आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। फिलहाल मुख्तार अंसारी पर अलग-अलग अदालतों में 21 मुकदमे चल रहे थे।

आठ मामलों में हो चुकी थी सजा

लगभग 37 साल पहले धोखाधड़ी से हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के एक मामले में इस महीने की शुरुआत में वाराणसी की MP/MLA अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास और 2.02 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

सितंबर 2022 से लेकर पिछले 18 महीनों में यह आठवां मामला था, जिसमें उसे उत्तर प्रदेश की अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई थी और दूसरा मामला जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

गाजीपुर जिले में तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की 29 नवंबर, 2005 को हुई हत्या और वाराणसी में 22 जनवरी, 1997 को व्यापारी नंद किशोर रुंगटा उर्फ नंदू बाबू के अपहरण व हत्‍या के मामले में गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी।

किस मामले में मिली कितनी सजा?

वहीं 15 दिसंबर, 2023 को, वाराणसी की एक सांसद/विधायक अदालत ने बीजेपी नेता और कोयला व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के अपहरण व हत्या के मामले में अंसारी को पांच साल, छह महीने की सजा सुनाई थी ।

इसी तरह 27 अक्टूबर, 2023 को, गाजीपुर सांसद/विधायक अदालत ने 2010 में उनके खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में उसे 10 साल के कठोर कारावास और पांच लाख रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

पांच जून, 2023 को वाराणसी की एक सांसद/विधायक अदालत ने पूर्व कांग्रेस विधायक और वर्तमान उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

तीन अगस्त 1991 को जब अवधेश और उनके भाई अजय वाराणसी के लहुराबीर इलाके में अपने घर के बाहर खड़े थे, तब अवधेश राय को गोलियों से भून दिया गया था।

इसी तरह 29 अप्रैल 2023 को गाजीपुर सांसद/विधायक अदालत ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में अंसारी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 23 सितंबर, 2022 को पूर्व विधायक के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में 1999 में गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में अंसारी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी और 50,000 रूपए का जुर्माना लगाया था।

पुलिस तोड़ चुकी थी अंसारी गैंग की कमर

15 दिसंबर, 2022 को गाजीपुर सांसद/विधायक अदालत ने उनके खिलाफ 1996 और 2007 में गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज दो अलग-अलग मामलों में उन्हें 10 साल की कैद की सजा सुनाई थी और प्रत्येक मामले में 5-5 लाख रूपये जुर्माना लगाया था।

पिछले 13 महीनों में अंसारी को पहली सजा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुनाई थी। 2003 में लखनऊ जिला जेल के जेलर को धमकी देने के आरोप में उन्हें 21 सितंबर, 2022 को सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।

पुलिस के मुताबिक, 2020 से अंसारी गैंग के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई और 608 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त या ध्वस्त की गई। इस अवधि में गिरोह के 215 रुपए से ज्यादा कीमत के अवैध कारोबार ठेके/कॉन्ट्रैक्ट को भी पुलिस ने बंद करा दिया।

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