MP Loksabha Election: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) से पहले बड़े पैमाने पर दलबदल की राजनीति चल रही है। ऐसे में राज्य कांग्रेस (Congress) में पिछले कई महीनों में भयंकर टूट दिखाई दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी से लेकर विधायक कमलेश शाह, मेयर विक्रम अहाके, जगत बहादुर सिंह अन्नू समेत कई पूर्व विधायक और पार्टी पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़, BJP की सियासी डगर पकड़ ली है। BJP का दावा है कि 20,000 से ज्यादा कांग्रेसी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इससे उसका वोट प्रतिशत और प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में वर्चस्व बढ़ेगा।
ED-CBI का डर दिखा रही बीजेपी: कांग्रेस
मध्य प्रदेश में बीजेपी का दामन थाम रहे नेताओं को लेकर सत्ता पक्ष का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार की नीतियों और जनहित की योजनाओं से प्रभावित होकर विपक्ष के लोग हमारे साथ आ रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी लगातार ED-CBI जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करते हुए नेताओं पर दबाव बना रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता राम पांड ने कहा, “ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस छोड़ी थी, तो BJP ने दावा किया था कि 70,000 लोग हमारे साथ आ गए हैं, लेकिन उसके बावजूद ग्वालियर में मेयर का चुनाव हम जीते। जो नेता जा रहे हैं, उससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला और चुनाव में हम बेहतर प्रदर्शन करके दिखाएंगे।”
कांग्रेस के प्रति अविश्वास का माहौल
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लगातार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे कांग्रेस नेताओं के चलते बीजेपी के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं।
बीजेपी प्रवक्ता शिवम शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता के साथ उसके अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं में अविश्वास का माहौल पैदा हो चुका है।
उन्होंने कहा, “भाजपा का जन आधार लगातार बढ़ रहा है, रिकार्ड वोटों से लोकसभा के चुनाव में हम लोग जीत दर्ज करेंगे। कांग्रेस के कई प्रभावी और जमीनी पकड़ रखने वाले नेता हमारे साथ आए हैं। इससे हमारे सियासी और क्षेत्रीय समीकरण बेहतर हुए हैं। आगामी चुनाव में भाजपा का जन आधार और भी बढ़ा हुआ दिखाई देगा।”
दलबदल से कांग्रेस के बिगड़ रहे समीकरण
मध्य प्रदेश में कांग्रेस इस बार 28 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ रही है, जिनमें से तीन सीटों पर अब तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है। बड़े पैमाने पर हुए दल बदल के कारण भी कांग्रेस के समीकरण बिगड़े हैं।
कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा की ही बात करें, तो मौजूदा मेयर विक्रम अहाके और अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह ने बीजेपी का दामन थामा है।
वहीं जबलपुर से सांसद प्रत्याशी के लिए चर्चा में आने के बाद मेयर जगतबहादुर सिंह अन्नू ने पार्टी ही छोड़ दी। कांग्रेस का ब्राह्मण फेस माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया है।
इसके अलावा तमाम जिलों में पार्टी पदाधिकारीयों से लेकर ग्रामीण इलाकों के नेताओं तक ने कांग्रेस को टाटा बाय-बाय कह दिया है। अब कांग्रेस पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है कि वो कैसे इस डैमेज को कंट्रोल करती है।
रिपोर्ट: वासु चौरे