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Masoor Dal: मसूर दाल के उत्पादन का इस साल बनेगा रिकॉर्ड, रबी सीजन में 1.6 करोड़ टन हो सकती है पैदावार

Masoor Dal: मसूर दाल के उत्पादन का इस साल बनेगा रिकॉर्ड, रबी सीजन में 1.6 करोड़ टन हो सकती है पैदावार

देश में इस मसूर दाल (Masoor Pulse) के रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान है। सरकार ने बताया कि इस साल रबी सीजन में मसूर दाल का पैदावार 1.6 करोड़ टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण इस साल मसूर की अधिक बुवाई होना बताया गया है। कंज्यूमर्स अफेयर्स मामलों के सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने एक बयान में यह जानकरी दी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 2022-23 के रबी सीजन में मसूर का उत्पादन 1.56 करोड़ टन हुआ था।

भारत पूरी दुनिया में दाल (Pulses) का सबसे बड़ा उत्पादक और खपत करने वाला देश है। हालांकि इसके बावजूद इसे देश में दलहन की कमी को पूरा करने के लिए मसूर और तुअर (अरहर) सहित कुछ दालों का विदेशों से खरीदना या आयात करना पड़ता है।

कंज्यूमर्स अफेयर्स सेक्रेटरी ने ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (GPC) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “इस साल, मसूर दाल का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर रहने वाला है। हमारा मसूर उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होगा। बुआई के रकबे में बढ़ोतरी हुई है।’’ GPC ने इस दौरान ऐलान किया ‘ग्लोबल पल्स कन्वेंशन’ के 2024 एडिशन की मेजबानी आगामी 14-17 फरवरी को नई दिल्ली में करेगा। यह ग्लोबल कार्यक्रम 18 सालों के बाद भारत में भारतीय सहकारी संस्था नेफेड के साथ आयोजित किया जाएगा।

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मौजूदा रबी सीजन में, मसूर फसल का रकबा बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा रबी सीजन में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह रकबा 18.3 लाख हेक्टेयर था।

रोहित कुमार सिंह ने कहा कि देश में सालाना औसतन 2.6-2.7 करोड़ टन दाल का उत्पादन होता है। चना और मूंग के मामले में, देश आत्मनिर्भर है। लेकिन अरहर और मसूर जैसी दूसरी दालों के मामले में, हमें अभी भी अपनी कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अधिक दाल उगाने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन खेती के लिए एक सीमित एरिया है और इसे भी ध्यान में रखना होगा। किसानों और ग्राहकों के हितों के बीच संतुलन का जिक्र करते हुए सेक्रेटरी ने कहा, “मुझे लगता है कि हम पिछले कुछ सालों में ठीक ठाक काम कर रहे हैं। मौसम की गड़बड़ी के बावजूद, हम दाल की कीमतों को काबू में रखने में कामयाब रहे हैं।”

नेफेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रितेश चौहान ने कहा कि तुअर दाल के लिए हाल ही में शुरु किए गए खरीद पोर्टल को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। उन्होंने कहा कि पोर्टल को लॉन्च करने के कुछ ही दिनों के भीतर इससे करीब 1,000 टन तुअर खरीदा गया।

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