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Maharashtra: क्या खतरे में है शिंदे-भाजपा सरकार? देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया बड़ा दावा

Maharashtra: क्या खतरे में है शिंदे-भाजपा सरकार? देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया बड़ा दावा

महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता मामले को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर क्या फैसला लेंगे, यह भविष्य के गर्भ में है। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को 10 जनवरी की समय सीमा दे रखी है। ऐसे विधायकों की अयोग्यता को लेकर उन्हें फैसला लेना है। अगर विधानसभा अध्यक्ष का फैसला एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी शिवसेना के पक्ष में नहीं गया तो कहीं ना कहीं महाराष्ट्र सरकार के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। हालांकि, पूरी घटनाक्रम को देखते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सफ तौर पर कहा कि फैसला कुछ भी हो, शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा और हम अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। 

विधानसभा अध्यक्ष बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुना सकते हैं। इसकी को लेकर भाजपा नेता ने कहा कि गठबंधन सरकार कानूनी रूप से वैध है और उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला विधायकों को न्याय प्रदान करेगा। फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ विधानसभा अध्यक्ष उचित और कानूनी रूप से न्यायसंगत फैसला करेंगे। हमारा पक्ष मजबूत है। हमारी सरकार कानूनी तौर पर मजबूत है। हमें उम्मीद है कि विधानसभा अध्यक्ष से हमें न्याय मिलेगा…. हमारी सरकार कल भी स्थिर थी और कल भी स्थिर रहेगी।’’ 

गौरतलब है कि जून 2022 में, शिंदे और कई अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी जिससे शिवसेना में विभाजन हो गया और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की गठबंधन सरकार गिर गई थी। गठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस भी शामिल थी। इसके बाद शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं। 

जून 2022 में विद्रोह के बाद शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। पिछले साल जुलाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजित पवार गुट उनकी सरकार में शामिल हो गया था। निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना नाम और ‘तीर धनुष’ चुनाव चिह्न दिया, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और मशाल चुनाव चिह्नदिया गया।

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