लोकसभा चुनाव में मंगलवार को मतगणना के शुरुआती रुझान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए निराशाजनक साबित होते दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में उसकी करारी हार होती दिख रही है। हालांकि, इसके बावजूद करीब 290 सीटों के साथ उसके सरकार बनाने की उम्मीद बरकरार है।
ओडिशा, तेलंगाना और केरल में महत्वपूर्ण बढ़त के बावजूद भाजपा अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से नीचे जाती दिख रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील हो चुके हिंदी पट्टी के राज्यों में दिख रही अप्रत्याशित हार से इतर ओडिशा, तेलंगाना और केरल में उसके लिए कुछ सांत्वना मिलती दिख रही है।
राजग के मुकाबले के लिए बना प्रतिद्वंद्वी ‘इंडिया’ गठबंधन करीब 230 सीटों पर आगे है। पिछले चुनाव में भाजपा के पास 303 सीटें थीं, जबकि राजग के पास 350 से अधिक सीटें थीं। रुझानों से यह संकेत स्पष्ट दिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के लिए जो 370 सीटों और राजग के लिए ‘400 पार’ का दावा किया था, वह उसके करीब नहीं पहुंच पाएगी। अब तक के रुझानों ने एग्जिट पोल के अनुमानों को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
अगर यही रुझान जारी रहा तो भाजपा को लोकसभा में बहुमत बनाए रखने के लिए तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और एकनाथ शिंदे की शिवसेना जैसे अपने सहयोगियों पर बहुत हद तक निर्भर रहना पड़ेगा। कांग्रेस ने कहा कि इस चुनाव का यह संदेश है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दें।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि लोकसभा चुनाव की मतगणना के रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि ‘निवर्तमान प्रधानमंत्री’ अब भूतपूर्व होने जा रहे हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अपने आप को अभूतपूर्व होने का दिखावा करते थे। अब साबित हो गया है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री भूतपूर्व होने वाले हैं। नैतिक ज़िम्मेदारी लें और इस्तीफ़ा दें। यही इस चुनाव का संदेश है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘अब सभी 543 सीटों के रुझान आ गए हैं। दो चीजें बिल्कुल स्पष्ट हैं। पहली यह कि यह नरेन्द्र मोदी के लिए एक चौंकाने वाली राजनीतिक और निर्णायक नैतिक हार होगी।’’ रुझानों में कांग्रेस 99 सीटों पर आगे है जबकि 2019 में उसने सिर्फ 52 सीटें ही जीती थीं। हालांकि, सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी का रहा। वह उत्तर प्रदेश में 34 सीटों पर आगे है। पिछले चुनाव में उसे केवल पांच सीटें मिली थीं।
सपा और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट करके उसे उसके सबसे मजबूत गढ़ में ही मात देता दिख रहा है। भाजपा ने पिछली बार 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि इस बार वह केवल 35 सीटों पर ही सिमटती दिख रही है। सपा-कांग्रेस गठबंधन 42 सीटों पर आगे है। राहुल गांधी रायबरेली से 1.24 लाख वोटों से आगे हैं जबकि केंद्रीय मंत्री और भाजपा की स्मृति ईरानी अमेठी में लगभग 32,000 वोटों से पीछे हैं।
मोदी वाराणसी में 60,000 से अधिक मतों से आगे हैं। कन्नौज में सपा नेता अखिलेश यादव 52,000 वोटों से आगे हैं। अब तक के रुझानों से लगता है कि चुनाव में खासकर हिंदी पट्टी के मतदाताओं ने मतदान के जरिए रोजी-रोटी को लेकर अपनी चिंता प्रकट की है। ऐसा लग रहा है विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों के इर्दगिर्द जनमत जुटाने में कामयाब रहा।
राजस्थान में भाजपा केवल 13 सीटों पर आगे है, जबकि पिछली बार उसका गठबंधन सभी 25 सीटों पर जीता था। ‘इंडिया’ गठबंधन यहां 12 सीटों पर आगे है। हरियाणा में भी भाजपा को भारी झटका लगता दिख रहा है। पिछले चुनाव में राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत करने वाली पार्टी इस बार केवल चार सीटों पर आगे है।
महाराष्ट्र में भी भाजपा को झटका मिलता दिख रहा है। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टूटे हुए धड़ों के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की उसकी उम्मीदों को झटका लगता दिख रहा है। राज्य की 48 सीटों में से, भाजपा गठबंधन केवल 18 सीटों पर आगे है जबकि 2019 में उसने 41 सीटें जीती थीं।
ओडिशा में भाजपा 21 सीटों में से 17 पर बढ़त के साथ शानदार प्रदर्शन कर रही है, जबकि सत्तारूढ़ बीजू जनता दल सिर्फ तीन सीटों पर सिमटता दिख रहा है। ओडिशा विधानसभा चुनावों में भी भाजपा आगे है। राज्य की 146 सीटों में से 76 पर वह आगे है।
पड़ोसी राज्य बिहार में, नीतीश कुमार की जद (यू) 14 सीटों पर बढ़त के साथ उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। भाजपा और उसकी सहयोगी लोजपा (रामविलास विलास) क्रमशः 11 और पांच सीटों पर आगे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन आठ सीटों पर आगे है।
पश्चिम बंगाल ने भी ममता बनर्जी की अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी को 31 सीटों पर बढ़त देकर तमाम अनुमानों को धता बता दिया है। इसके साथ ही 2019 में मिली 18 सीटों के आंकड़े में सुधार की भाजपा की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। भाजपा यहां केवल 10 सीटों पर आगे है जबकि कांग्रेस एक सीट पर आगे है।
आंध्र प्रदेश में जहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के भी चुनाव हुए थे, वहां भाजपा के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर सत्ता से बाहर होती दिख रही है। राज्य की 25 लोकसभा सीटों में तेदेपा 16 सीटों पर आगे है जबकि उसकी सहयोगी भाजपा तीन और जन सेना पार्टी दो पर आगे है।
भाजपा तेलंगाना में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। वह राज्य की 17 में से आठ सीटों पर आगे है। हालांकि, कर्नाटक में भाजपा को झटका लगता दिख रहा है और उसकी सीटों की संख्या 25 से घटकर 16 पर आती नजर आ रही है।
केरल में कांग्रेस 20 सीटों पर जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। हालांकि तिरुवनंतपुरम सीट पर उसे झटका लग सकता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर इस सीट पर भाजपा के राजीव चंद्रशेखर से 13,000 मतों से पीछे हैं। भाजपा ने त्रिशूर सीट पर भी बढ़त बना रखी है।
तमिलनाडु में भाजपा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है। ‘इंडिया’ गठबंधन 39 में से 35 सीटों पर बढ़त के साथ काफी आगे दिख रहा है। इसके साथ ही भाजपा के उस दावे पर पानी फिर गया कि वह इस बार दक्षिण में बड़ी जीत हासिल करेगी।