इस अवसर पर ITU की महासचिव डोरेन बोगडान-मार्टिन ने कहा, ” WTSA-24 के नतीजे हमें याद दिलाते हैं कि सम्पूर्ण मानवता के लिए एक पृथ्वी, एक मानव परिवार और एक ही साझा डिजिटल भविष्य है.”
“वैश्विक मानकीकरण समुदाय के साथ, ITU यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हमारा डिजिटल भविष्य, नवाचार, समावेशन और स्थिरता को केन्द्र में रखते हुए, तकनीकी रूप से मज़बूत हो.”
मेज़बान देश भारत के संचार मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “जिसे संचार का एक रूप समझा जाता था, आज वो एक ऐसा मार्ग बन गया है, जिस पर ना केवल हमारे देशों का भविष्य, बल्कि अगले कुछ दशकों में, सम्पूर्ण मानवता का भविष्य निर्मित होगा.”
WTSA सम्मेलन में सहमत हुए नवीनतम प्रस्तावों में, विकासशील देशों को समर्थन देने पर ज़ोर दिया गया है.इन निर्णयों के तहत, ITU को इन क्षेत्रों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है:
• ज़िम्मेदार, सुरक्षित और समावेशी एआई, जिसमें ‘एआई फॉर गुड’ मंच के ज़रिए सहयोग शामिल है;
• विश्वसनीय, समावेशी और इंटरऑपरेबल मेटावर्स एप्लिकेशन;• कई उद्योगों एवं प्रौद्योगिकियों में सतत डिजिटल परिवर्तन;
• डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के लिए तकनीकी आवश्यकताएँ;
• वाहन से लेकर हर चीज़ के लिए संचार प्रौद्योगिकियाँ, बुद्धिमत्तापूर्ण परिवहन प्रणाली और स्वचालित ड्राइविंग;
• आपातकालीन संचार का समर्थन करने के लिए मोबाइल फोन से कॉलर-स्थान की जानकारी;
• आईटीयू मानक विशेषज्ञों की अगली पीढ़ी के रूप में छात्रों एवं युवा पेशेवरों को तैयार करना;
• नई नीति के उद्देश्यों और बाज़ार की माँग को पूरा करने के लिए निरन्तर सुधार एवं विकास.
परिणाम दस्तावेज़ पर ITU दूरसंचार मानकीकरण ब्यूरो के निदेशक, सीज़ो ओनोई ने कहा, ” ITU मानकों और क्षमता विकास को ऐसे डिजिटल भविष्य की नींव तैयार करनी चाहिए, जैसे भविष्य की हमें अपेक्षा है. मेरी शीर्ष प्राथमिकताओं में, असरदार मानक बनाने और उद्योगों के बीच मज़बूत सम्पर्क स्थापित करते हुए, विकासशील देशों को समर्थन देना होगा, जो यह प्रभाव लाने के लिए प्रयासरत होंगे.”
उन्होंने कहा कि WTSA के निर्णय, ITU के सदस्यों की इन लक्ष्यों को हासिल करने की प्रतिबद्धता दर्शाता है.