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Israel-Iran tensions: तनाव के इस माहौल में निवेशकों को क्या करना चाहिए?

Israel-Iran tensions: तनाव के इस माहौल में निवेशकों को क्या करना चाहिए?

ईरान और इजराइल में बढ़ते तनाव की वजह से ग्लोबल मार्केट्स में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। दोनों देशों के बीच बड़ा युद्ध छिड़ने की चिंताओं की वजह से निवेशक इस हालात पर नजर बनाए हुए हैं। भू-राजनीतिक माहौल को लेकर छाई अनिश्चितता की वजह से ट्रेडर्स जोखिम से बच सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, इस बात को लेकर काफी डर है कि तनाव बढ़ने की वजह से अलग-अलग एसेट क्लास में बिकवाली देखने को मिल सकती है। दरअसल, भूराजनीतिक संकट की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए निवेशक ऐसा कर सकते हैं।

अमेरिका में मार्च के इनफ्लेशन आंकड़े आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है। इस वजह से शेयरों में पहले ही बिकवाली का दबाव है। निवेशकों में इन रिपोर्ट्स से भी निराशा का माहौल है कि ईरान-इजराइल के बीच युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच सकता हैं। मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने बताया कि बाजार का माहौल काफी कुछ ईरान-इजराइल के बीच तनाव की स्थिति पर निर्भर करता है।

बग्गा ने X (ट्विटर) पर लिखा, ‘ अगर इजराइल आक्रामक रुख अख्तियार करता है या ईरान एक बार फिर हमला करता है, तो बाजार का जोखिम और बढ़ सकता है। गोल्ड और अन्य प्रमुख मेटल में बढ़ोतरी होगी, जबकि जोखिम वाली एसेट्स में बिकवाली देखने को मिलेगी।’ बग्गा के मुताबिक, बाजार में छोटा करेक्शन देखने को मिल सकता है, बशर्ते इजराइल या ईरान की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जाता है।

कच्चे तेल की कीमत में 12 अप्रैल को जबरदस्त तेजी रही और ब्रेंट क्रूड 2.7 पर्सेंट बढ़कर 92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इजराइल-हमास युद्ध के शुरुआती दौर में भी कच्चा तेल इसी लेवल पर पहुंच गया था। कंप्लीट सर्किल वेल्थ (Complete Circle Wealth) के मैनेजिंग पार्टनर और CIO गुरमीत चड्ढा ने X पर लिखा, ‘ हम कम से कम अगले 6-7 साल से बुल मार्केट के दौर में हैं। कई चरणों में 10-15 पर्सेंट का करेक्शन होगा। कभी इससे ज्यादा करेक्शन भी देखने को मिल सकता है। हालांकि, यह सब इक्विटी इनवेस्टमेंट का हिस्सा है।’

चड्ढा के मुताबिक, निवेशकों को बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखना चाहिए। भारत ग्लोबल ग्रोथ की अगुवाई करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। लिहाजा, निवेशकों को 2030 के लक्ष्य को ध्यान में रखकर चलना चाहिए। साथ ही, गिरावट पर अपने पोर्टफोलियो में निवेश भी बढ़ाया जा सकता है।

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