Israel-Iran Tension : ईरान और इजराइल में बढ़ते तनाव के बीच सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी जारी रहने की संभावना है। मध्य पूर्व में बढ़ते संकट के कारण सोने के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है। अक्टूबर की शुरुआत से सोना 29 फीसदी और फरवरी के मध्य से 18 फीसदी बढ़ चुका है। हालांकि, ईरान के इजराइल पर हमले से पहले ही सोने की कीमतों में तेजी देखी जा रही थी। दरअसल, क्रूड, इक्विटी, डॉलर और बॉन्ड यील्ड एक साथ बढ़ रहे हैं। बीते हफ्ते गोल्ड 2410 डॉलर प्रति औंस को पार गया।
बता दें कि इजराइल का कहना है कि ईरान ने उस पर 300 ड्रोन और मिसाइल से हमला किया है। इससे मीडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। कच्चे तेल की कीमतों में इस साल अब तक 18 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी से भी गोल्ड को सहारा मिलेगा।
सोने की कीमतों में उछाल की वजह क्या है?
सेफ हैवन डिमांड
बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच निवेशक ऐसी जगहों में निवेश करना चाहते हैं, जहां रिस्क बिल्कुल कम हो। जैसे-जैसे इजराइल-ईरान और इजराइल-हमास के बीच संकट गहराता जाएगा, सोने में तेजी जारी रहेगी क्योंकि निवेशक मेटल में सुरक्षित विकल्प तलाशेंगे, जिससे डिमांड बढ़ेगी।
बहुत अधिक जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच सोना और चांदी निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प हैं। डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में कीमती धातुओं को रखने से जियो-पॉलिटिकल रिस्क का प्रभाव कम हो जाता है।
केंद्रीय बैंक जमकर खरीद रहे गोल्ड
दुनिया भर में केंद्रीय बैंक सोने के खरीदार बने हुए हैं, हालांकि यह 2022 और 2023 के लेवल से कम है। पिछले दो सालों केंद्रीय बैंक एक बार फिर सराफा बाजार में पावरफुल पार्टिसिपेंट के रूप में उभरे हैं। कीमती धातु इमरजेंसी में भी भरोसेमंद हैं और नेशनल इमरजेंसी या संघर्ष के समय में जब नेशनल करेंसी रिडीम नहीं हो सकते, तो सोना एक अच्छा विकल्प होता है।
आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान सोने को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है। कोविड के बाद रूस यूक्रेन संघर्ष और मिडिल ईस्ट संकट और इन सबके बीच महंगाई और मंदी की मार के बीच सेंट्रल बैंक्स ने जमकर गोल्ड खरीदा है।
सेंट्रल बैंक अपने रिजर्व में डायवर्सिटी लाने के लिए सोने में खरीद करते हैं। अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता बढ़ने के साथ ये खरीद भी बढ़ जाती है। इससे किसी देश की सबसे अहम आर्थिक संस्थान पर जोखिम भी कम हो जाते हैं। इसके अलावा गोल्ड लंबी अवधि में महंगाई दर के खिलाफ सुरक्षा देने वाला एसेट साबित हुआ है।