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Infosys को-फाउंडर नारायण मूर्ति को पत्नी सुधा मूर्ति से जुड़े एक फैसले पर आज भी है पछतावा, बोले- ‘मैं गलत था’

Infosys के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) को अपने एक फैसले पर बेहद अफसोस है। वह फैसला है पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murty) को इंफोसिस में शामिल नहीं होने देने का। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान नारायण मूर्ति ने इस बात का खुलासा किया और कहा कि अब इस मामले में उन्होंने अपनी सोच बदल दी है। CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने कहा, “मैं गलत था। अब मैं इसमें यकीन नहीं रखता। मुझे लगता है कि मैं उन दिनों जो कर रहा था, वह गलत था। मैं गलत तरीके से आदर्शवादी था और मुझे लगता है कि कुछ मायनों में, मैं उन दिनों के माहौल से बहुत प्रभावित था।”

बता दें कि 28 वर्ष की उम्र में नारायण मूर्ति को इंजीनियर सुधा कुलकर्णी से प्यार हो गया था। उस वक्त सुधा टेल्को, जो कि अब टाटा मोटर्स है, में अपनी जगह बना चुकी थीं और कंपनी के शॉप फ्लोर पर काम करने वाली पहली महिला थीं। 1981 में सुधा मूर्ति ने नारायण मूर्ति को इंफोसिस शुरू करने के लिए शुरुआती पूंजी के रूप में 10000 रुपये दिए थे। यह उनके पर्सनल इमर्जेंसी फंड का पैसा था।

Infosys जॉइन करने से क्यों किया मना

इंफोसिस के शुरू हो जाने के बाद जब सुधा मूति ने औपचारिक रूप से इंफोसिस में शामिल होने के लिए कहा, तो नारायण मूर्ति ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि परिवार के सदस्यों को कंपनी में शामिल नहीं होना चाहिए। नारायण मूर्ति के मुताबिक, ‘उस वक्त मुझे लगता था कि अच्छे कॉरपोरेट गवर्नेंस का मतलब है परिवार को इसमें नहीं लाना क्योंकि उन दिनों केवल परिवार ही था, जहां हर तरह के बच्चे कंपनी में आते थे और कंपनी चलाते थे। वहां सभी कानूनों का उल्लंघन होता था।’

कैसे बदली सोच

नारायणमूर्ति यह स्वीकार करते हैं कि उनकी पत्नी इंफोसिस के अन्य सभी फाउंडर्स की तुलना में अधिक क्वालिफाइड थीं। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के दो शीर्ष विश्वविद्यालयों के फिलॉसफी के कुछ प्रोफेसरों के साथ चर्चा के बाद उन्हें एहसास हुआ कि सुधा मूर्ति को इंफोसिस में शामिल नहीं होने देने का फैसला गलत था। वर्तमान में सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन (Infosys Foundation) की चेयरपर्सन हैं। इसके अलावा वह बिजनेसवुमन, एजुकेटर, लेखिका और फिलान्थरोपिस्ट के तौर पर भी जानी जाती हैं।

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यह पूछे जाने पर कि क्या उनका बेटा रोहन मूर्ति कभी इंफोसिस में शामिल होगा, मूर्ति का जवाब एक जोरदार ‘न’ था। उनका मानना है कि रोहन ऐसा कभी नहीं करेंगे। 40 वर्षीय रोहन मूर्ति एक कंप्यूटर साइंटिस्ट से उद्यमी बने हैं। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। वह डेटा बेस्ड सॉफ्टवेयर फर्म सोरोको के फाउंडर हैं। यह कंपनी डेटा को सार्थक जानकारी में बदलने में मदद करती है।

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