नई दिल्ली: रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण-11 (ICD-11) के मॉड्यूल-2 के लॉन्च के साथ ही आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध (ASU) दवाओं में अब दुनिया भर में समान रुग्णता कोर्ड (मॉर्बडिटी कोड्स) की व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। इससे मरीजों की परेशानियां कम होंगी। इस बात का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी को मन की बात में भी किया था। उन्होंने इसे भारत की एक उपलब्धि बताते हुए कहा था कि इससे पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का सहारा लेने वाले रोगियों की समस्याएं कम होंगी।इस व्यवस्था को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से लागू किया गया है।
दरअसल, आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी प्रणालियों पर आधारित रोगों से संबंधित डेटा और शब्दावली अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के ICD-11 वर्गीकरण में शामिल की जाएगी। इससे बीमारियों को परिभाषित करनेवाली शब्दावली के कोड में एकरूपता आएगी और काफी सहूलियत होगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया लॉन्च
ICD-11, चैप्टर 26, मॉड्यूल 2 को हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लॉन्च किया गया था। पीएम मोदी ने मन की बात में इसका जिक्र करते हुए कहा था-‘आप में से कई लोग होंगे, जिन्हें इलाज के लिए आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी चिकित्सा पद्धति से मदद मिलती है। लेकिन इनके मरीजों को तब समस्या होती है, जब इसी पद्धति के किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाते हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों में बीमारी के नाम, इलाज और दवाइयों के लिए एक जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं होता है। हर चिकित्सक अपने तरीके से बीमारी का नाम और इलाज के तौर-तरीके लिखता है। इससे दूसरे चिकित्सक के लिए समझ पाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है।
दशकों की समस्या का समाधान
ICD-11 मॉड्यूल 2 के लॉन्च ने इस समस्या का बहुत हद तक समाधान कर दिया है और पीएम ने कहा,’दशकों से चली आ रही इस समस्या का समाधान अब ढूंढ लिया गया है।’ पीएम मोदी ने कहा,- मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से जुड़े डेटा और शब्दावली का वर्गीकरण किया है। इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मदद की है। दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में बीमारी और इलाज से जुड़ी शब्दावली की कोडिंगकर दी गयी है। इस कोडिंग की मदद से अब सभी डॉक्टर अपनी पर्ची पर एक जैसी भाषा लिखेंगे।
इलाज में होगी सहूलियत
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘इसका एक फायदा ये होगा कि अगर आप वह पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को इसकी पूरी जानकारी उस पर्ची से ही मिल जाएगी। आपकी बीमारी, इलाज, कौन-कौन सी दवाएं चली हैं, कितने समय से इलाज चल रहा है, किन चीज़ों से एलर्जी है, ये सब जानने में उस पर्ची से मदद मिलेगी। दूसरा फायदा उन लोगों को होगा, जो रिसर्च के काम से जुड़े हैं।
रिसर्च में मदद मिलेगी
रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (ICD-11), मॉड्यूल 2 भी ASU से जुड़े रिसर्च को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था,’अन्य देशों के वैज्ञानिकों को भी बीमारी, दवाओं और उनके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। रिसर्च बढ़ने और कई वैज्ञानिकों के साथ-साथ जुड़ने से ये चिकित्सा पद्धति और बेहतर परिणाम देंगे और लोगों का इनके प्रति झुकाव बढ़ेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि आयुष पद्धतियों से जुड़े डॉक्टर जल्द से जल्द इस कोडिंग को अपनाएंगे।डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (ICD) भारत जैसे सदस्य देशों के लिए विभिन्न संचारी (communicable) (जैसे मलेरिया, टीबी, आदि) और गैर-संचारी (non communicable) (मधुमेह, कैंसर, किडनी रोग आदि) रोग और मृत्यु दर के आँकड़े एकत्र करने का प्रमुख साधन है। ICD-11 मॉड्यूल 2 पहल के लिए जमीनी कार्य आयुर्वेद दिवस समारोह 2017 के दौरान शुरू किया गया था। उसी समय “राष्ट्रीय आयुष रुग्णता और मानकीकृत शब्दावली इलेक्ट्रॉनिक (NAMASTE) पोर्टल (https://namstp.ayush.gov.in/) को प्रधानमंत्री ने लॉन्च किया था। साथ ही उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली का उद्घाटन भी किया था।
ICD-11 मॉड्चूल2 के लॉन्च से दुनिया भर की बीमा कंपनियों के बीच चिकित्सा बीमा कवरेज, बीमा पैकेज के निर्माण और बीमा पोर्टेबिलिटी में भी मदद मिलेगी। साथ ही भारत में आयुष के जरिए इलाज के लिए मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय आयुष और जहाजरानी, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन में, हम सभी ने ICD-11 मॉड्यूल 2 जैसी वैश्विक सफलता हासिल की है। उनके अथक प्रयासों के कारण, भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आज वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रही है। ‘मन की बात’ के माध्यम से उनका संबोधन हमारी ऊर्जा और प्रेरणा को बढ़ाने वाला है। हमें आयुष को वैश्विक स्वास्थ्य की मौलिक प्रणाली के रूप में विकसित करना है। सचिव आयुष वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष मंत्रालय ICD-11, मॉड्यूल 2 के आधार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लिए भविष्य की रणनीति तैयार करेगा। हम इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लागू करेंगे। ICD-11 में पारंपरिक चिकित्सा संबंधी रोग के नामों का अनुक्रमण एक समान वैश्विक परंपरा के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।