रोजमर्रा की जरूरत का सामान बनाने वाली FMCG कंपनियों को वित्त वर्ष 2024-25 में आय में सुधार के साथ बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। इन कंपनियों को कम मुद्रास्फीति के माहौल, सामान्य मानसून के अनुमान और अच्छी रबी की फसल के साथ खपत में सुधार की उम्मीद है। ब्रिटानिया, मैरिको, डाबर, GCPL और HUL जैसी कंपनियों ने मार्च तिमाही के लिए अपने ताजा अनुमान में मौजूदा वित्त वर्ष में आय बढ़ने की उम्मीद जताई है, क्योंकि डिफ्लेशनरी का सायकल (Deflationary Cycle) खत्म हो गया है।
प्रमुख कमोडिटी की कीमतों में गिरावट के चलते कंपनियों को कीमतें कम करनी पड़ी। इसके चलते 2023-24 की आखिरी दो तिमाहियों में इन कंपनियों की बिक्री और मुनाफे पर असर पड़ा। एफएमसीजी कंपनियों को ग्रामीण बाजार में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। इनकी कुल बाजार में एक तिहाई से अधिक हिस्सेदारी है।
Dabur के CEO की राय
डाबर (Dabur) के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने एक इनवेस्टर कॉल में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में वॉल्यूम ग्रोथ ही आगे बढ़ने का रास्ता होगी। उन्हें FY25 में कंजप्शन ट्रेंड में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की उम्मीद है। वे सामान्य मानसून, मैक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर में सुधार, सरकारी खर्च और कम इन्फ्लेशन को देखते हुए मिड से हाई सिंगल डिजिट वॉल्यूम ग्रोथ की उम्मीद करते हैं।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 आय वृद्धि का वर्ष है। चुनाव और मानसून के बाद डबल डिजिट वॉल्यूम ग्रोथ की उम्मीद है। इस साल वॉल्यूम ग्रोथ के बारे में पूछे जाने पर बेरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह काफी मजबूत रहेगी। उन्होंने कहा, “चुनाव के बाद, मानसून के बाद हम निश्चित रूप से डबल डिजिट वॉल्यूम ग्रोथ का लक्ष्य रखेंगे।”
GCPL और HUL का बयान
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL) को इस वित्तीय वर्ष में अपने भारतीय बाजार से हाई सिंगल डिजिट वॉल्यूम ग्रोथ और अपने वैश्विक बाजारों से प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी के पास HIT, सिंथॉल और गुड नाइट जैसे ब्रांड हैं। कंपनी को मीडियम टर्म में हाई सिंगल डिजिट और लॉन्ग टर्म में डबल-डिजिट ग्रोथ की उम्मीद है। मैरिको, जिसके पास सफोला, पैराशूट, लिवॉन जैसे ब्रांड हैं, का लक्ष्य FY25 में हेल्दी रेवेन्यू के साथ अर्निंग ग्रोथ हासिल करना है।
हिन्दुस्तान यूनिलीवर के सीएफओ रितेश तिवारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एफएमसीजी की मांग में धीरे-धीरे सुधार होगा क्योंकि सामान्य से अधिक मानसून के पूर्वानुमान और मैक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर्स में सुधार अच्छा संकेत है।