Farmers Protest: किसान अपनी मांगों को लेकर 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में धरना देंगे। यह बात भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कही है। टिकैत ने यह भी बताया कि शनिवार 17 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सिसौली में हुई पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में सरकार की ओर से किसानों की मांगें नहीं माने जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा से 26 और 27 फरवरी को दिल्ली तक ट्रैक्टर मार्च निकालने को कहा गया है।
पंचायत ने हरियाणा और पंजाब में हुई घटनाओं की भी निंदा की है। यह पंचायत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से बुलाए गए किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के बीच आयोजित की गई।
क्या हैं किसानों की मांगें
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी के अलावा किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन व कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए किसान पंजाब और हरियाणा के दो बॉर्डर पॉइंट्स पर मौजूद हैं, जहां उनकी हरियाणा के पुलिस कर्मियों के साथ झड़प हुई है और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे हैं।
किसी भी बलिदान के लिए तैयार है टिकैत परिवार
पंचायत में शामिल होने के बाद टिकैत ने कहा कि किसानों के हित के लिए टिकैत परिवार के सदस्य किसी भी बलिदान के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सिसौली में हुई पंचायत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड से भाकियू के 30 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।
किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच तीसरे दौर की वार्ता गुरुवार 15 फरवरी देर रात बेनतीजा रही। अब दोनों पक्षों के बीच अगली बैठक रविवार 18 फरवरी को होगी। इस बीच किसानों ने पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर डटे रहने का निर्णय किया है।