Delhi Loksabha Election 2024: नई दिल्ली (New Delhi Loksabha Seat) जैसी हाई-प्रोफाइल लोकसभा सीट पर, स्थानीय मुद्दे अक्सर मतदाताओं की प्राथमिकता लिस्ट में ऊपर नहीं होते हैं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव इस ट्रेंड को बदल सकते हैं, क्योंकि इस बार स्थानीय लोग बेरोजगारी और मध्यम वर्ग को प्रभावित करने वाली समस्याओं जैसे अहम मुद्दों को उठाने वाला सांसद चाहते हैं। News18 ने लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों का दौरा किया और निवासियों, पहली बार मतदाताओं, कॉलेज के छात्रों, वकीलों और दुकानदारों से बात की, जिनमें से सभी ने अलग-अलग राय रखी।
29 साल के दुकानदार निशित के लिए, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में आए, जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आएगा। उनकी भावना को दोहराते हुए कनॉट प्लेस के एक और दुकानदार ने कहा कि जो लोग नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के तहत आने वाले इलाके में काम करते हैं और रहते हैं, उनके लिए शायद ही कोई समस्या है।
39 साल के सुजरात ने कहा, “हमें पानी या बिजली की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है… हमें नहीं लगता कि नए चुने हुए नेता कुछ भी बेहतर कर सकते हैं।”
क्या है युवाओं की मांग?
युवा छात्रों, खासकर पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की कुछ इच्छाएं हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के माता सुंदरी कॉलेज फॉर वुमेन में फर्स्ट ईयर की छात्रा इशिका जैन और अर्शी ढींगरा को लगता है कि स्वच्छता और साफ-सफाई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “लड़कियों के लिए कॉलेज होने के बावजूद, यहां कोई मेडिकल रूम नहीं है और साफ-सफाई भी खराब हैं। इसके अलावा, पूरे शहर में बड़े-बड़े कूड़े के ढेरों और सीवेज नालियों की सफाई पर भी ध्यान देने की जरूरत है।”
पहली बार मतदान करने वाली एक और मतदाता अरुशी ने कहा कि बेरोजगारी और हायर एजुकेशन जुरूरी मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “बतौर छात्र हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा जिस पर ध्यान देने की जरूरत है, वो है बेरोजगारी। इसके अलावा भारत में हायर एजुकेशन कॉलेज में सीटों की कमी युवा वयस्कों के लिए समस्याएं पैदा करती हैं।”
MBA की तैयारी कर रही एक युवती की मां अनिता शर्मा का भी यही मानना है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त सरकारी कॉलेज नहीं हैं, और एक प्राइवेट कॉलेज की ट्यूशन फीस एक मिडिल क्लास परिवार के लिए चर्चा से बाहर है।
उन्होंने कहा, “देश घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास कर रहा है, लेकिन कोई भी सरकार मध्यम वर्ग की किसी भी समस्या का समाधान नहीं कर रही है, जिसे तेजी से ठीक करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि शहर में रहने की लागत इतनी ज्यादा है कि मध्यम वर्ग के लोगों के लिए जिंदा रहना मुश्किल है।
उन्होंने कहा, लोगों के लिए बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, जो स्थिर सरकार देती है।
पहली बार मतदाता बने सुप्रीत, कॉलेज के लिए नई दिल्ली में आती हैं। उनके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन बड़ा मुद्दा है। वह चाहती हैं कि बसें समय पर और नियमित रूप से चलें। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, उनमें बहुत भीड़ होती है और बसों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे समस्या और भी बदतर हो रही है।”
केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर गहरी भावनाएं
चुनाव के समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भी लोगों में गहरी भावना है। कई लोगों का मानना है कि यह असंवैधानिक है और जो AAP के समर्थक भी नहीं हैं, उनका भी यही मानना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
पहली बार मतदान करने जा रहे लेडी इरविन कॉलेज के छात्र प्रत्यक्ष के लिए, केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार की “मुफ्त सुविधाएं” “छोटी राजनीति है, जो केवल एक चुनावी स्टंट है।” हालांकि, उन्होंने उनकी गिरफ्तारी के विचार का विरोध करते हुए कहा, “यह राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए किया गया है।”
34 साल के संतोष यादव और लगभग 40 साल के अरविंद यादव के लिए, एक मजबूत विपक्ष लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरोजिनी नगर में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले युगल ने कहा, “अगर विपक्ष नहीं है, तो आपके पास लोकतंत्र नहीं हो सकता। यह किसी पार्टी के बारे में नहीं है, प्रतिद्वंद्वी पार्टी के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना मौलिक रूप से गलत है।”
इसी तरह की सोच 48 साल की प्रभा सिंह भी रखती हैं, जो एक स्थानीय निवासी हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मौजूदा सरकार से सवाल पूछने में सक्षम होने के लिए एक मजबूत विपक्ष के साथ कम से कम दो दलों की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “देश आज जिस प्रमुख मुद्दे का सामना कर रहा है, वो सरकार की शक्तियों को नियंत्रण में रखने के लिए मजबूत विपक्ष की कमी है। केजरीवाल की गिरफ्तारी विपक्ष और बदले में लोकतंत्र को नष्ट कर रही है।”
50 साल की उम्र में पेशे से वकील सुरेश ने भी केरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “आदर्श रूप से, आप दोषी साबित होने तक निर्दोष हैं, लेकिन केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में, यह दूसरा तरीका है। क्या वह भारत के अकेले भ्रष्ट नेता हैं, जिनके पास सरकार में कोई पद है? और बिना कोई सबूत सामने आए हमें कैसे पता चलेगा कि वह दोषी है या नहीं?”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मतदाताओं को केवल शिक्षित लोगों को चुनना चाहिए, जिनके पास विकास के लिए एक दृष्टिकोण है, और देश के विकास के साधन के रूप में शिक्षा और रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए।
63 साल के सुनील कुमार शर्मा एक ऑटो-रिक्शा ड्राइवर हैं। उन्होंने न केवल केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया बल्कि यह भी कहा कि केंद्र सरकार को AAP संयोजक की तरह जनता के लिए योजनाएं लानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक पहल से उन्हें काफी मदद मिली है।
‘BJP ने हमें वह सब कुछ दिया, जो हमें चाहिए’
‘आएगा तो मोदी ही’ – यह भी कई लोगों के बीच एक कहावत थी, जो प्रधानमंत्री के 10 साल के कार्यकाल से खुश हैं। पिछले 25 साल से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के पास चाय की दुकान चलाने वाले विजय के लिए मोदी से बेहतर कोई नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा, “हम किसी सरकार से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं कर सकते। बीजेपी ने हमें वो सब कुछ दिया जिसकी हमें जरूरत थी।”
40 साल के नितिन शर्मा, जिनका घर और ऑफिस नई दिल्ली इलाके में है, उनके के लिए कोई और विकल्प नहीं है। वे कहते हैं, “BJP के अलावा हम किसी को भी वोट नहीं दे सकते। देश में कोई दूसरा मजबूत नेता नहीं है।”
नई दिल्ली सीट और उसका इतिहास
1951 में अस्तित्व में आया नई दिल्ली शहर का सबसे पुराना दिल्ली संसदीय क्षेत्र है। 17 लोकसभा चुनावों में से बीजेपी और कांग्रेस ने सात-सात बार इस सीट पर जीत हासिल की है।
इस सीट से चुने गए जाने-माने नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मेहर चंद खन्ना, अजय माकन और शहर की पहली महिला सांसद सुचेता कृपलानी शामिल थीं। यहां तक कि अभिनेता राजेश खन्ना भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं।
AAP के आने से पहले इस सीट पर कांग्रेस और BJP का शासन था, लेकिन 2014 के बाद, AAP वोटों का अच्छा हिस्सा ले रही है, भले ही वो इस सीट या शहर में कहीं भी लोकसभा में नहीं चुनी गई हो।
हालांकि, इस बार AAP और कांग्रेस ने BJP के खिलाफ हाथ मिला लिया है और AAP नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रही हैं। 2014 और 2019 में बीजेपी की मीनाक्षी लेखी ने इस सीट पर जीत हासिल की।
इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और उनकी जगह पेशे से वकील और पूर्व विदेश मंत्री के बेटी सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को टिकट दिया। उनके खिलाफ AAP ने भी अपने वरिष्ठ नेता और वकील सोमनाथ भारती को मैदान में उतारा है। भारती 2013 से मालवीय नगर से विधायक हैं। 49 साल भारती दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं।