विश्व

#CSW68 – महिला स्थिति आयोग की बैठक में दुनिया भर से भारी शिरकत

यूएन महिला स्थिति आयोग (CSW) की इस वर्ष, 68वीं वार्षिक बैठक है जिसकी थीम है – निर्धनता उन्मूलन लैंगिक दृष्टिकोण वाले संस्थानों और वित्त पोषण को मज़बूती के ज़रिए, लैंगिक समानता और तमाम महिलाओं व लड़कियों की मज़बूती को बढ़ावा देना.

दुनिया इस समय, लैंगिक समानता के मुद्दे पर एक चौराहे पर खड़ी नज़र आती है. 

विश्व भर में इस समय 10 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ ग़रीबी में जीवन जी रही हैं और महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में अधिक निर्धन हैं.

अगर टिकाऊ विकास लक्ष्य, 2030 तक हासिल करने हैं तो निर्धनता दूर करने के लिए, 26 गुना अधिक तेज़ी से प्रगति की ज़रूरत है.

अधिक तेज़ प्रगति के लिए, संसाधन निवेश की दरकार है. 

48 विकासशील देशों से प्राप्त आँकड़ों से मालूम होता है कि लैंगिक समानता हासिल करने और प्रमुख वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, हर साल अतिरिक्त 360 अरब डॉलर की धनराशि की ज़रूरत है.

इन लक्ष्यों में निर्धनता और खाद्य अभाव यानि भुखमरी को दूर करना भी शामिल है.

इस निर्णायक वर्ष में, जबकि अनेक देशों में लगभग दो अरब 60 करोड़ लोग, अपने देशों की सरकारों के चुनाव में मतदान करेंगे, तो उनके पास लैंगिक समानता में अधिक संसाधन निवेश किए जाने की मांग करने की शक्ति है.

महिलाओं की निर्धनता को ख़त्म करने के समाधान व्यापक रूप से पहचाने जा रहे हैं.

इनमें एक समाधान ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों में संसाधन निवेश करना है जो लैंगिक विषमताओं को दूर करें और महिला एजेंसी को मज़बूत करें.

अगर सरकारें, शिक्षा, परिवार नियोजन, न्यायसंगत व समान वेतन को प्राथमिकता दें और सामाजिक लाभों का दायरा बढ़ाएँ, तो दस करोड़ से अधिक महिलाएँ व लड़कियाँ, निर्धनता से बाहर निकाली जा सकती हैं.

देखभाल सेवाओं में संसाधन निवेश करके, वर्ष 2035 तक, लगभग 30 करोड़ रोज़गार सृजित किए जा सकते हैं.

रोज़गार क्षेत्र में लैंगिक खाई को पाटकर, सभी क्षेत्रों में, सकल घरेलू उत्पाद में, प्रति व्यक्ति 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हासिल की जा सकती है.

यूएन महिला स्थिति आयोग (CSW68) के इस वार्षिक सम्मेलन में, दुनिया भर से देशों की सरकारों, सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और कार्यकर्ता शिरकत कर रहे हैं.

इस बैठक में ऐसी कार्रवाइयों और संसाधन निवेशों पर सहमति बनाने की कोशिश होगी, जो महिलाओं की निर्धनता को ख़त्म कर सकें और लैंगिक समानता को आगे बढ़ा सकें.

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