Covid 19 JN.1: एक बार फिर कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है। अब नया वैरिएंट Covid 19 JN.1 चिंता बढ़ा रहा है। यह ओमीक्रोन फैमिली का ही वैरिएंट है। काफी खतरनाक भी बताया जा रहा है। WHO की तरफ से इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ बताया गया है। भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीच बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमित सभी सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग कराया जाएगा। ताकि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट JN.1 के बारे में पता लगाया जा सके। भारद्वाज ने बताया कि सरकार ने कोविड टेस्ट बढ़ा दिए हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने संक्रमण के कन्फर्म वाले सभी मामलों के जीनोम सिक्वेसिंग के आदेश दिए हैँ। ताकि नए वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या के बारे में जानकारी हासिल की जा सके। 27 दिसंबर को तीन वैरिएंट कन्फर्म हुए थे। इसमें एक JN.1 वैरिएंट का केस था। बाकी दो केस ओमीक्रोन वैरिएंट के थे।
नए वैरिएंट से महिला थी संक्रमित
भरद्वाज ने आगे बताया कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट JN.1 से महिला एक संक्रमित थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि नए वैरिएंट पीड़ित जिस मरीज की अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। महिला मरीज को कोई गंभीर समस्या नहीं थी। फिलहाल कोविड-19 के 4 मरीजों का इलाज चल रहा है। भारद्वाज ने उन लोगों से भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की सलाह दी है। इसके साथ ही लोगों को मास्क पहनने की भी सलाद ही है। जो लंबे समय से बीमार हैं। उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
जानिए जिनोम सिक्वेंसिंग क्या है
जिनोम सिक्वेंसिंग एक तरह का टेस्ट होता है। इस टेस्ट के जरिए आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि कोरोना हुआ है या नही। इसके साथ ही इस टेस्ट में आपको साफ पता चल जाएगा आपको कौन सा वाला कोरोना हुआ है। इसमें वायरस का पूरा बायोडेटा तैयार किया जाता है। इस वायरस में DNA और RNA जैसे कई सारे तत्व होते हैं। जिसका जिनोम सिक्वेंसिंग के जरिए टेस्ट किया जाता है।
कैसे किया जाता है जिनोम सिक्वेंसिंग?
जिनोम सिक्वेंसिंग से नए और पुराने वायरस में तुलना की जाती है। ताकि इसका सही ढंग से इलाज किया जा सके। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ कोरोना के लिए किया जाता है। बल्कि यह सभी संक्रमित और वायरस वाली बीमारी में इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए लैब में खास तैयारी की जाती है। भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग का सबसे पहले राजस्थान में शुरू किया गया था। इसके कई लैब देश में बनाए गए हैं।