Commodity market : सरकार ने इस मुद्दे पर सभी स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक की है। सरकार ने बैठक में दाल के स्टॉक की जानकारी मांगी है। इसमें दाल की बढ़ती कीमतें काबू में करने पर भी चर्चा हुई है। दालों पर सरकार एक्शन मोड में आ गई है। व्यापारियों को होर्डिंग से दूर रहने की सलाह दी गई है। कम कीमत पर इंपोर्ट की कोशिशें जारी हैं। कारोबारियों का कहना है कि इथोपिया और ब्राजील तुअर उत्पादन में दिलचस्पी ले रहे हैं। नाइजीरिया समेत कई और देश भी रुचि दिखा रहे हैं। सरकार से इन देशों को सपोर्ट करने की अपील की है।
सरकार तुअर इंपोर्ट पर लगा सकती है प्राइस कैप
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक दालों के बढ़ते भाव पर अंकुश लगाने के लिए सरकार तुअर इंपोर्ट पर प्राइस कैप लगा सकती है। तुअर इंपोर्ट पर 1000 डॉलर का प्राइस कैप लगाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि सरकार कम कीमत पर तुअर इंपोर्ट करना चाहती है। सरकार को विदेशी एक्सपोर्टर्स पर होर्डिंग का शक है। सूत्रों के मुताबिक प्राइस कैप लगने से तुअर के दाम घटने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि देश में सबसे ज्यादा अरहर का उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भी इसकी खेती होती है। दिसंबर और जनवरी में अरहर की नई फसल बाजार में आ जाती है। देश में हर साल करीब 35 से 38 लाख टन अरहर की पैदावार होती है। लेकिन पिछले साल इसमें गिरावट रही और करीब 22 लाख टन ही हुआ था। जिसकी वजह से अरहर दाल के दाम काफी बढ़ गए।