भारत और ईरान ने चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह के टर्मिनल के परिचालन के लिए सोमवार को एक लॉन्गटर्म कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए। ईरान स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट में यह जानकारी दी। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
चाबहार बंदरगाह
यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का मैनेजमेंट अपने हाथ में लेगा। चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं।
भागीदारी की नींव
इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा, ‘‘ अनुबंध पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की दीर्घकालिक भागीदारी की नींव रखी है। इस अनुबंध से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता और दृश्यता पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।’’
चाबहार बंदरगाह परियोजना
सोनोवाल ने कहा कि चाबहार न केवल भारत का निकटतम ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री परिवहन की दृष्टि से भी यह एक शानदार बंदरगाह है। उन्होंने ईरान के बंदरगाह मंत्री के साथ बैठक भी की। भारत क्षेत्रीय व्यापार खासकर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है। यह बंदरगाह ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (आईएनएसटीसी) परियोजना के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है।
बहुस्तरीय परिवहन परियोजना
आईएनएसटीसी परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक बहुस्तरीय परिवहन परियोजना है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
अवसरों के रास्ते
आईपीजीएल की सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) ने 2019 में अफगानिस्तान से भारत में निर्यात की पहली खेप की सुविधा दी थी। बयान में कहा गया है कि उक्त परिचालन अल्पकालिक अनुबंधों के माध्यम से जारी रहा, जबकि अगस्त, 2022 में सोनोवाल की चाबहार यात्रा के साथ दीर्घकालिक समझौते पर बातचीत ने गति पकड़ी। बयान के मुताबिक, समझौता बढ़े हुए व्यापार और निवेश के अवसरों के रास्ते खोलेगा और इससे भारत की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।