Budget 2024 : यूनियन बजट पेश होने की तारीख नजदीक आने के साथ इसके बारे में चर्चा बढ़ रही है। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman 1 फरवरी, 2024 को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह उनका छठा यूनियन बजट होगा। उन्होंने अपना पहला बजट 5 जुलाई, 2019 को पेश किया था। यह वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट था। सीतारमण के अगले यूनियन बजट से युवाओं, महिलाओं, किसानों, स्टूडेंट्स सहित हर वर्ग को काफी उम्मीद हैं। मनीकंट्रोल ने 30 साल के टैक्सपेयर्स की इस बजट से क्या-क्या उम्मीदें हैं, यह जानने की कोशिश की है। मनीकंट्रोल ने इसके लिए तीन लोगों से बात की।
टैक्स एग्जेम्प्शन की लिमिट बढ़नी चाहिए
30 साल के राहुल गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में काम करते हैं। उनकी सालाना इनकम 8 लाख रुपये है। यूनियन बजट 2024 से उम्मीदों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को सबसे पहले टैक्स एग्जेम्प्शन की लिमिट बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि करीब 10 साल पहले टैक्स एग्जेम्पशन की लिमिट बढ़ाई गई थी। इस दौरान एंप्लॉयीज की सैलरी में काफी इजाफा हुआ है। इसलिए सालों पहले तय की गई टैक्स एग्जेम्प्शन की लिमिट आज पर्याप्त नहीं रह गई है। सरकार को इसे बढ़ाना चाहिए। अभी इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में एग्जेम्प्शन लिमिट सालाना 2.5 लाख रुपये है। नई रीजीम में सालाना 3 लाख रुपये है। इसे बढ़ाकर कम से कम 4 लाख रुपये करने की जरूरत है। इससे नौकरी करने वाले लोगों को राहत मिलेगी।
50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन नाकाफी
गाजियाबाद में रहने वाले 30 साल के पीयूष एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अगर नौकरी करने वाले करोड़ों लोगों को राहत देना चाहती है तो उसे सबसे पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन का बेनेफिट देने के साथ ही ट्रांसपोर्ट अलाउन्स और मेडिकल बिल रीइम्बर्समेंट की सुविधा वापस ले ली थी। यह एक हाथ से देने और दूसरे हाथ से लेने वाली बात थी। अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन सालना 50,000 रुपये है। इस सरकार को बढ़ाकर कम से कम 1 एक लाख रुपये करनी चाहिए।
सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़नी चाहिए
गरिमा फरीबाद में रहती हैं। उनकी उम्र 30 साल है। वह पिछले चार साल से एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करती हैं। यूनियन बजट 2024 से उम्मीदों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ानी चाहिए। अभी इसकी लिमिट सालाना 1.5 लाख रुपेय है। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स सेक्शन 80सी के तहत आने वाले करीब एक दर्जन इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर डिडक्शन का क्लेम कर सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले 9-10 साल से यह लिमिट नहीं बढ़ाई गई है। सरकार को इसे बढ़ाकर कम से कम 3 लाख रुपये कर देनी चाहिए। इससे एक तरह टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ कम होगा तो दूसरी तरह उसे ज्यादा सेविंग्स करने का मौका मिलेगा।