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Budget 2024: भारत में कई बार वित्तमंत्री की जगह प्रधानमंत्री ने पेश किया बजट, जानें ऐसे ही कुछ खास किस्से

Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। देश में हर साल वित्त मंत्री बजट पेश करता है लेकिन देश में बजट प्रधानमंत्री ने पेश किया है। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ जब फाइनेंस मिनिस्टर की जगह प्रधानमंत्री को बजट पेश करना पड़ा। देश में पेपरलेस बजट पेश करने की परंपरा शुरू हो चुकी है। आइए जानते हैं बजट से जुड़े कुछ खास किस्से..

प्रधानमंत्री ने पेश किया बजट

आम तौर पर वित्त मंत्री को हर साल केंद्रीय बजट पेश करने का काम सौंपा जाता है, लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जब बजट देश के प्रधान मंत्री ने पेश किया गया। पंडित जवाहरलाल लाल नेहरू केंद्रीय बजट पेश करने वाले पहले प्रधान मंत्री थे। 1958 में तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने हरिदास मुंधड़ा घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण इस्तीफा दे दिया, इसलिए पंडित नेहरू को केंद्रीय बजट पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिर 1970 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया जब वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने उनसे परामर्श किए बिना चौदह भारतीय निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के विरोध में इस्तीफा दे दिया। इसी तरह 1987-88 में वित्त मंत्री वीपी सिंह के इस्तीफा देने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया था।

2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक अलग रेलवे बजट रखने की 92 साल पुरानी परंपरा को समाप्त कर दिया। जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2016 में रेलवे बजट को आम बजट के साथ विलय करने का फैसला किया।

पेपरलेस बजट

2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में पहला पेपरलेस बजट पेश किया, जब उन्होंने अपना भाषण टैबलेट से पढ़ा। 2019 में उन्होंने बजट को ब्रीफकेस में ले जाने की औपनिवेशिक परंपरा को छोड़ दिया। वित्त मंत्री ने बजट दस्तावेज पेश करने के लिए पारंपरिक ‘बही खाता’ को अपनाया। दस्तावेज़ रेशमी लाल कपड़े में लपेटे गए थे और टॉप पर राष्ट्रीय प्रतीक था।

1999 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम 5 बजे बजट पेश करने की ब्रिटिश युग की प्रथाओं के विपरीत बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। फिर 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने महीने के आखिरी कार्य दिवस के बजाय 1 फरवरी को बजट पेश करने की प्रथा शुरू की।

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