Budget 2024: बजट 2024 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी अंतरिम बजट होगा। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि इसमें कई लोकलुभावन घोषणाएं हो सकती हैं। सबसे ज्यादा 10 बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है। हालांकि, आजाद भारत के इतिहास में कुछ ऐसे भी वित्त मंत्री रह चुके हैं, जो कभी भी बजट पेश नहीं कर पाए। इसकी वजह ये रही कि इनका कार्यकाल बेहद कम रहा। इस लिस्ट में क्षितिज चंद्र नियोगी (Kshitij Chandra Niyogi), हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna) और नारायण दत्त (Narayan Dutt Tiwari) तिवारी का नाम शामिल है।
देश की वित्तीय सेहत की जिम्मेदारी उठाने के लिए आजाद भारत के इतिहास में अब तक 34 वित्त मंत्री काम कर चुके हैं। मौजूदा समय में पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) इस पद को संभाल रही हैं। फाइनेंस मिनिस्टर के रूप में उनका ये लगातार छठा बजट होगा। वहीं भारत के वित्त मंत्री रहे मोरार जी देसाई (Morarji Desai) 10 बार बजट पेश कर चुके हैं।
क्षितिज चंद्र नियोगी नहीं पेश कर पाए बजट
क्षितिज चंद्र नियोगी देश के दूसरे वित्त मंत्री थे। उन्होंने आरके शणमुखम शेट्टी की जगह ली थी। वो सिर्फ 35 दिन तक वित्त मंत्री रहे। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में उनके पास बजट पेश करने का मौका आया ही नहीं। वह पहले वित्त आयोग के चेयरमैन थे। साल 1948 में उन्होंने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था।
हेमवती नंदन बहुगुणा भी नहीं पेश कर पाए बजट
हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna) भी वित्त मंत्री की कमान संभाल चुके हैं। वो भी वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश नहीं कर पाए हैं। बहुगुणा के साथ भी केसी नियोगी जैसी ही स्थिति बनी। दरअसल, बहुगुणा का का कार्यकाल सिर्फ साढ़े पांच महीने का रहा। हेमवती नंदन बहुगुणा साल 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार (Indira Gandhi Govt) में वित्त मंत्री बने थे। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान भी बजट पेश नहीं हो सका।
नारायण दत्त तिवारी
ND तिवारी अपने जमाने के दिग्गज नेता थे। तीन बार वो उत्तर प्रदेश के सीएम बने। वह उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री थे। तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रहे। 1987-88 में नारायण दत्त तिवारी वित्त मंत्री बने थे। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उस समय नारायण दत्त तिवारी की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट पेश किया था।