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Budget 2024: क्या प्रायरिटी सेक्टर लेडिंग की कैटगरी में शामिल होगा गोल्ड लोन?

Budget 2024: गोल्ड लोन को अक्सर वित्तीय संकट का आखिरी उपाय माना जाता है। इस सेगमेंट में गांवों और छोटी जगहों में भी जबरदस्त संभावना है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, देश के घरों में तकरीबन 25,000 टन सोना मौजूद है।

इस अनुमान के आधार पर कहा जाए, तो यहां दुनिया में सोना का सबसे बड़ा भंडार है। गोल्ड लोन को प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग के दायरे में लाने से गोल्ड के वेल्थ की फाइनेंशियल सेक्टर में औपचारिक तौर पर एंट्री हो सकती है और ग्रामीण भारत में लोन की सीमित उपलब्धता की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है।

चूंकि गोल्ड लोन को प्रायरिटी सेक्टर में शामिल करने की मांग लगातार तेज हो रही है, लिहाजा छोटे यानी 50,000 रुपये तक के गोल्ड लोन को माइक्रो फाइनेंस लेंडिंग के दायरे में शामिल करना चाहिए। वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के लिए यह कदम जरूरी है। इस सेक्टर में किफायती दर पर लोन जैसे उपायों से गोल्ड रिजर्व की संभावनाओं के इस्तेमाल के लिए द्वार खुल सकते हैं। खास तौर पर ग्रामीण भारत में इसका जबरदस्त असर देखने को मिल सकता है, जहां क्रेडिट सप्लाई काफी कम यानी महज 8 पर्सेंट है।

समाज के सबसे निचले स्तर पर फंड की सप्लाई को बेहतर बनाना:

संकट के क्षणों के दौरान गोल्ड लोन भरोसेमंद विकल्प के तौर पर उभरकर सामने आते हैं। इसके जरिये लोगों को तत्काल फंड जुटाने में मदद मिलती है। बजट 2024 में समाज के निचले पायदान पर मौजूद लोगों के लिए गोल्ड लोन का बेहतर विकल्प पेश किया जा सकता है। गोल्ड लोन को प्रायरिटी सेक्टर के दायरे में शामिल करने से हाशिये पर मौजूद लोगों तक फाइनेंशियल सर्विसेज की पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

सस्ते लोन का विकल्प

बजट 2024 में इस सेगमेंट में सस्ते लोन के लिए अतिरिक्त उपायों पर गौर किया जा सकता है, ताकि देश भर के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर मौजूद गोल्ड रिजर्व का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। बजट में इस सिलसिले में वित्तीय संस्थानों को जरूरी इंसेंटिव और सहूलियतें उपलब्ध कराकर लोन सुविधा से जुड़ी उस असमानता को दूर करने में मदद मिलेगी, जिसकी वजह से ग्रामीण इलाकों में विकास की गाड़ी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।

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