Budget 2024: अगले वित्त वर्ष 2024-25 के बजट के लिए काउंटडाउन लगभग शुरू हो चुका है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) इसे बजट सत्र के पहले दिन यानी 1 फरवरी को पेश करेंगी। बजट को आम भाषा में कहें तो यह एक तरह से सरकार का बही-खाता है यानी कि सरकार की आय और खर्चों की पूरी डिटेल्स होती है। इसमें सरकार अपने सभी खर्चों, विभिन्न योजनाओं और सेक्टर्स को आवंटित बजट का अनुमान पेश करती है। ऐसे में यह जानना अहम हो जाता है कि पूरे साल का बही-खाता तैयार कैसे होता है।
Budget 2024: ये है बजट की पूरी प्रक्रिया
बजट प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर सितंबर में शुरू होती है। वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और ऑटोनॉमस बॉडीज को एक बजट सर्कुलर जारी करता है। इसमें उनसे अगले वित्त वर्ष के लिए अनुमान तैयार करने के लिए कहा जाता है। सभी सुझावों की समीक्षा के बाद वित्त मंत्रालय फंड आवंटन पर फैसला करता है। अगर इससे जुड़ा कोई विवाद होता है तो अंतिम रूप से पेश होने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल या प्रधान मंत्री से सलाह ली जाती है।
अक्टूबर के आसपास विभिन्न मंत्रालयों के साथ प्री-बजट बैठकें होती हैं। सेक्रेटरी (एक्सपेंडिचर) की अगुवाई में ये बैठकें नवंबर के मध्य तक चलते हैं। इसके बाद जब स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री यानी सांख्यिकी मंत्रालय जनवरी के पहले सप्ताह में चालू वित्त वर्ष के जीडीपी का पहला अग्रिम अनुमान जारी कर देता है तो बजट से जुड़े अनुमानों को अंतिम रूप दिया जाता है। वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष के लिए एक निश्चित नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट तय करता है जिसका इस्तेमाल राजकोषीय घाटा लक्ष्य और टैक्स कलेक्शन इत्यादि के आधार के तौर पर किया जाता है।
इन सबके बाद वित्त मंत्री बजट सत्र के पहले दिन बजट प्रस्ताव पेश करते हैं। इसमें सरकार के खर्च, अगले वित्त वर्ष के लिए विभिन्न योजनाओं और क्षेत्रों के लिए फंड आवंटन की डिटेल्स दी जाती है। इस पर लोकसभा में चर्चा और बहस होती है जिसके बाद राज्यभा में पास होने के लिए भेजा जाता है। अंतिम चरण में बजट लागू किया जाता है और इसके प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू होते हैं।
Budget 2024: इस बार 1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट
केंद्रीय वित्त मंत्री इस बार 1 फरवरी को जो बजट पेश करेंगी, वह पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव होने वाले हैं तो यह बजट नए वित्त वर्ष में सिर्फ अगली सरकार के गठन तक के लिए पेश किया जाता है। इसके बाद जब अगली सरकार का गठन हो जाता है तो यह बाकी बचे महीनों के लिए बजट पेश करती है। यह जुलाई में पेश होता है।