Budget 2024 : अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने सरकार को फिस्कल डेफिसिट में कमी लाने की सलाह दी है। उसने कहा है कि इंडिया को मध्यम अवधि में फिस्कल डेफिसिट में कमी लाने के प्लान पर फिर से काम शुरू कर देना चाहिए। 2020 में कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद सरकार ने फिस्कल डेफिसिट में कमी करने के प्लान से फोकस हटा दिया था। तब इकोनॉमी को सहारा देने के लिए अपना खर्च बढ़ाना पड़ा था। सरकार के साथ बातचीत में आईएमएफ ने कहा है कि फिस्कल डेफिसिट में कमी के प्लान पर फोकस नहीं बढ़ाने से सरकार का फिस्कल डेफिसिट टारगेट से ज्यादा रह सकता है। 15वें वित्त आयोग ने फिस्कल डेफिसिट वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया था। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman 1 फरवरी को यूनियन बजट 2024 (Union Budget 2024) पेश करेंगी। इसमें वह अगले वित्त वर्ष में फिस्कल डेफिसिट के टारगेट का ऐलान करेंगी।
इंडिया पर कर्ज का बोझ जीडीपी के 100 फीसदी तक पहुंच सकता है
IMF ने कहा है कि मीडियम टर्म में इंडिया पर कर्ज का बोझ जीडीपी के 100 फीसदी तक पहुंच सकता है। इससे इकोनॉमी के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सरकार अपनी मौजूदा फिस्कल पॉलिसी को जारी रखती है तो भी वित्त वर्ष 2032-33 तक सरकार का ग्रॉस डेट जीडीपी के 71 फीसदी तक होगा। फिस्कल पॉलिसी सख्त बनाने से सरकार की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। इससे उसे बड़े झटकों से निपटने में मदद मिलेगी। इसके अलावा फिस्कल कंसॉलिडेशन की रफ्तार बढ़ाने से सरकार पर इंटरेस्ट चुकाने का बोझ घटेगा।
IMF ने सरकार को फिस्कल स्टेटमेंट जारी करने की सलाह दी
अगर सरकार पर इंटरेस्ट चुकाने का बोझ कम होगा ता उसके हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। इसका इस्तेमाल वह इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ और क्लाइमेट चेंज रोकन पर कर सकती है। इससे लंबी अवधि में इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ेगी। IMF ने फिस्कल स्टेटमेंट की भी जरूरत बताई है। उसने कहा है कि इससे मीडियम टर्म फिस्कल फ्रेमवर्क (MTFF), फिस्कल ऑब्जेक्टिव्स और बजट प्रोसेस के बीच मजबूत लिंक बनेगा। फिस्कल स्ट्रेटेजी स्टेटमेंट में सरकार के फिस्कल ऑब्जेक्टिव का ब्याोरा शामिल होना चाहिए। इसमें फिस्कल डेफिसिट के मामले में सरकार का रोडमैप भी शामिल होना चाहिए।
सरकार को जीएसटी रिफॉर्म्स करने की सलाह
आईएमएफ ने कहा है कि जी-20 के ब्राजील, इंडोनेशिया, मेक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को कानून के तहत प्री-बजट स्टेटमेंट जारी करना चाहिए। उसने कहा है कि सरकार को संसाधन जुटाने की कोशिश के साथ फिस्कल डेफिसिट और ग्रॉस डेट कम करने की कोशिश करनी चाहिए। सरकार को जीएसटी में रिफॉर्म्स पर ध्यान देना चाहिए। इससे सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिलेगी। आईएमएफ के कैलकुलेशंस के मुताबिक, कंसॉलिडेशन पर फोकस करने से सरकार पर कर्ज का बोझ गिरकर FY29 तक जीडीपी के 74 फीसदी तक आ सकता है।