भारतीय जनता पार्टी (BJP) जल्द ही आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे सीनियर नेताओं की 29 फरवरी को देर रात बीजेपी कार्यालय में बैठक में हुई। इस बैठक का उद्देश्य अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन था। उम्मीदवारों की पहची सूची में बीजेपी के बड़े नामों के शामिल होने की उम्मीद है। इनमें वाराणसी से पीएम मोदी, गुजरात के गांधीनगर से अमित शाह और लखनऊ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हैं।
मोदी सरकार जनता के बीच तीसरे कार्यकाल के लिए वोट मांगने जाएगी। इस बार उम्मीदवारों को चुनने के लिए पार्टी 5 संभावित रणनीतियों पर काम कर रहा है
1. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
पार्टी ने जमीनी स्तर से सीधे प्रतिक्रिया मांगकर एक अनूठा तरीका अपनाया। नागरिकों को नमो ऐप के जरिए संसद के मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन पर अपनी राय जाहिर करने का मौका दिया गया। पिछले साल, प्रधानमंत्री ने नमो ऐप पर ‘जन मन सर्वे’ शुरू किया था, जिसमें सरकार और स्थानीय प्रतिनिधियों के प्रदर्शन से जुड़े सवाल शामिल थे। कथित तौर पर 2 करोड़ से अधिक लोगों ने इस सर्वे में भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि उम्मीदवार स्थानीय आबादी की भावनाओं और आकांक्षाओं के मुताबिक काम करें।
2. सांसदों के साथ लगातार बातचीत
पिछले दो सालों से BJP लगातार अपने सांसदों से फीडबैक ले रही है। मंत्रियों को लोकसभा सीटों का दौरा करने, रिपोर्ट जुटाने और मौजूदा सांसदों की राय को इकठ्ठा करने का काम सौंपा गया था। इसके अलावा, चयन प्रक्रिया शुरू करने से पहले लगातार राज्य स्तरीय चुनाव समिति की बैठकें आयोजित की गईं। राज्य चुनाव समिति ने मंत्रियों की रिपोर्ट की समीक्षा की, जिसने इन बैठकों के दौरान प्रत्येक संसदीय सीट के लिए नामों की एक सूची तैयार की।
3. नियमित कोर बैठकें
पार्टी ने पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित प्रत्येक राज्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोर बैठकें आयोजित कीं। इन बैठकों में लोकसभा चुनावों की तैयारियों में भाजपा की रणनीतिक योजना और संगठनात्मक मजबूती पर जोर दिया गया। प्रत्येक राज्य के कोर बीजेपी समूहों ने नड्डा, शाह जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं और पार्टी के महासचिव बीएल संतोष के साथ नियमित अंतराल पर चर्चा की।
4. पुरानी सीटों पर नए चेहरे
पार्टी का लक्ष्य 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान हारी सीटों को इस बार जीत में बदलना है। ऐसी संभावना है कि ऐसे राज्यों में केंद्रीय मंत्रियों, जो राज्यसभा सांसद भी हैं, को मैदान में उतारा जा सकता है। इनमें केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय राज्य मंत्री (एमओएस) वी मुरलीधरन शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा एक संसदीय सीट से 2 बार जीतने वाले कई सांसदों की जगह भी पार्टी नए चेहरे उतारने पर विचार कर रही है।
5. सहयोगियों तक पहुंचना
बीजेपी अपने सहयोगी दलों के उम्मीदवार उतारने पर भी विचार कर सकती है। खबरों के मुताबिक बीजेपी का नेतृत्व खराब प्रदर्शन वाले सांसदों के टिकट काट सकता है। लगभग 60-70 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं, जिससे सहयोगी दलों के नए चेहरों के लिए जगह बनाई जा सके। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से आने वाले कई सांसदों के फिर से चुनाव लड़ने की उम्मीद है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इसके 303 में से 85 ओबीसी सांसद विजयी हुए थे।