उद्योग/व्यापार

Ayodhya Ram Mandir: ‘जाकर नाम सुनत शुभ होई…’ क्या मुहूर्त और क्या अधूरा मंदिर? रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एकमत है अयोध्या

Ayodhya Ram Mandir: न यह जानने की परवाह की मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त सही है या गलत। न इस बात की चर्चा की मंदिर अधूरा है। मंदिर का शिखर अभी बना है या नहीं बना। अभी तो बस एक ही लक्ष्य है कि किसी तरह राम लला एक बार फिर गर्भ गृह में पधारें। श्रद्धालुओं के लिए यही प्रथम और अंतिम लक्ष्य है कि जल्द ही प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) समारोह का दिन आए। शायद यह जानकर उन लोगों की चिंता जरूर बढ़ेगी, जो मुहूर्त पर सवाल उठा रहे हैं। जल्दबाजी में मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की चर्चा कर रहे हैं। उसे चुनाव से जोड़ने की बात कर रहे हैं। आधे-अधूरे बने मंदिर और शिखर का निर्माण अभी तक न होने के बावजूद प्राण प्रतिष्ठा करने को गलत ठहरा रहे हैं।

इतना ही नहीं आरोप तो ये भी लगाए गए कि मंदिर भगवान राम के जन्मस्थान से तीन किलोमीटर दूर बनाया जा रहा है। असल में आम श्रद्धालु इन बातों को सुनना भी नहीं चाहता और न ही इस पर कोई चर्चा करना चाहता है और न ही उन्हें इसकी परवाह है।

महाराष्ट्र के ही श्रद्धालुओं का एक दल यह कहकर आगे बढ़ जाता है कि मैं तो अपनी आंखों से देख रहा हूं की रामलला वहीं विराजमान हो रहे हैं, जहां पर उनका जन्म हुआ था। अब कौन क्या कह रहा है, हम लोगों को इससे कोई मतलब नहीं। इस दल के साथ मंदिर-मंदिर जाकर दर्शन कर रहे महेश भाई कहते हैं कि राम लला जल्द से जल्द नए नए मंदिर में आकर बिराज जाए, अपनी आंखों से यही देखना चाहते हैं। ये परम सौभाग्य है कि वो दिन अब जल्द आ रहा है। कौन क्या कह रहा है, मुझे इससे मतलब नहीं।

पास खड़े हम सभी की बात सुन रहे एक साधु बोल पड़े, “जाकर नाम सुनत शुभ होई। मोरे ग्रह आवा प्रभु सोई।” यानी जिसका नाम सुनने से ही शुभ हो, वह स्वयं मेरे घर आ गए हैं। उनका आगमन पूरे विश्व का कल्याण करने वाला है। इसलिए कैसा मुहूर्त? मुहूर्त तो दिव्य ही है, लेकिन न भी हो तो कोई बात नही ।

वास्तव में अयोध्या में मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे देश में जबरदस्त चर्चा है। अभी भी कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। कई तरह के जवाब भी आ रहे हैं। इसके केंद्र में अयोध्या है, लेकिन दिलचस्प तथ्य है कि अयोध्या इससे अछूती है। अयोध्या को कोई चर्चा न उद्वेलित करती है, न कोई असर छोड़ती है।

इस नगरी में आने वाला हर श्रद्धालु इन चर्चाओं पर ज्यादा बात भी नहीं करना चाहता। हां, मंदिरों और मठों के महंत जरूर इस पर टिप्पणी करते हैं, लेकिन राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लेकर अयोध्या लगभग एकमत है। कही कोई दो राय नहीं। यहां के लोग अब कुछ नहीं सुनना चाहते कि कैसा मुहूर्त है, सही है या गलत है। बस किसी से भी पूछो तो एक ही जवाब देता है- ‘प्रभु का आगमन ही सर्वश्रेष्ठ है।’ उसके नाम से ही सब शुभ होता है, फिर मुहूर्त की चर्चा क्यों?

रामानंदी संप्रदाय के आधूरे बने मंदिरों की हुई प्राण प्रतिष्ठा?

रामदास जी रामानंदी हैं और वह कहते हैं कि यह नई बात सुन रहा हूं कि जब तक मंदिर की एक-एक ईट न लग जाए, तब तक प्राण प्रतिष्ठा न की जाए। जो यह बात कर रहे हैं, उन्हें शायद यह मालूम नहीं की रामानंद संप्रदाय के ही तमाम मंदिर आधे बने और प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। गांव में लोग मंदिर बनाते हैं। गर्भ गृह बनाकर उसमें भगवान को विराजित कर देते हैं और इसके बाद मंदिर दस-दस सालों तक बनता रहता है। क्योंकि आम लोगों की धार्मिक परंपराओं के बारे में आरोप लगाने वालों को जानकारी नहीं है। उन्हें गांव की जानकारी नहीं है। धर्म से कोई मतलब नहीं है। बस कुछ भी बोलना है, इसलिए बोला जा रहा है। खूब बोलने दीजिए, लेकिन अयोध्या अपनी मस्ती में चल रही है। उसमें तर्क-वितर्क का कोई स्थान नहीं है।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत हो चुकी है। परिसर में मूर्ति आ चुकी हैं। आज शोभा यात्रा भी निकली। अयोध्या में भीड़ भी बढ़ती जा रही है। ज्यादातर श्रद्धालु अयोध्या में भाव और मस्ती के साथ विचरण कर रहे हैं। हर तरफ उत्साह का आलम है।

सरयू के किनारे तमाम श्रद्धालुओं के बीच तिलक लगाए बैठे छत्तीसगढ़ के रामेश्वर सिंह कहते हैं कि अयोध्या की जो मस्ती है, वो कहीं नहीं है। यह पूछे जाने पर कि मंदिर निर्माण की जगह और मुहूर्त को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। वह कहते हैं कि यहां पर राम रस ले रहा हूं। सवाल-जवाब की बात मत कीजिए। जिनका जो काम है, उन्हें करने दीजिए। अयोध्या में तो सवाल हमेशा उठाए गए, लेकिन भगवान राम की कृपा से यहां पर सभी दुखों का नाश होता है। इसलिए अपना-अपना काम अपनी-अपनी कोशिश।

Ram Mandir: इस शख्स ने 20Kg Parle-G बिस्कुट से बनाया राम मंदिर! देख कर आप भी कहेंगे G माने Genius

पास बैठे एक श्रद्धालु सोमनाथ कहते हैं कि आप और हम सुन रहे हैं की मंदिर असली गर्भगृह से दूर बन रहा है। अब बताओ यहां पर मैं अपनी आंखों से सब देख रहा हूं। अभी जन्म भूमि के दर्शन करके लौटा हूं। इसके पहले भी अयोध्या आए थे, जब बाबरी ढांचा खड़ा था। अयोध्या का एक-एक स्थल हमेशा याद रहा। इसके पहले भी आया था और दर्शन करके गया था। नया मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां पहले बाबरी मस्जिद थी और बीच के गुंबद में राम लला विराजे थे।

वह यह कह कर अपनी बात खत्म कर देते हैं “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”, मतलब जिसकी जैसी भावना, उसे उसी तरह प्रभु दिखते हैं। अब जो आलोचना कर रहे हैं, वो जानें उनका काम जाने। मुझे किसी से कोई मतलब नहीं।

फिलहाल अयोध्या में एक धारा बह रही है। इसमें तर्क-वितर्क का कोई स्थान नहीं सिर्फ भक्ति है और भाव है। अयोध्या में श्रद्धालु किसी मंदिर के दर्शन को छोड़ना नहीं चाहते। बहुत से श्रद्धालु नंदीग्राम भी जा रहे हैं। नंदीग्राम में भरत जी ने भगवान राम की खड़ाऊ को सिंहासन में विराजित कर अयोध्या पर का शासन चलाया था।

अधूरे बने मंदिर में क्या हो सकता है प्राण प्रतिष्ठा?

वहीं देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और हिंदू धर्म के जानकार गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने साफ किया है कि अधूरे बने निर्मित मंदिर में मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो सकता है। उनका कहना है कि अगर मंदिर का शिखर व कलश स्थापित नहीं हुआ है, तब भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कोई बाधा नहीं है। शिखर बन जाने के बाद शिखर का प्रतिष्ठा समारोह अलग से होता हो जाता है।

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त को निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री ने साफ कर दिया है कि आने वाले कई महीनों तक प्राण प्रतिष्ठा का कोई मुहूर्त ही नहीं था। यही नहीं उन्होंने इस बात को गलत करार दिया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह का मुहूर्त निकालने में जल्दबाजी की गई है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है। शास्त्री ने कहा कि वह शास्त्र के अनुसार मुहूर्त निकालते हैं और इसमें चुनाव या किसी नेता से कोई लेना देना नहीं है।

शास्त्री ने बताया कि 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा करने से रामजी की कृपा से राज्यवृद्धि होगी, मतलब नीति के अनुसार शासन कार्य चलेगा। प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त पर देश भर से आई आपत्तियों को श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने खारिज कर दिया है। रामलला की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 पौष माह के द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश को चुना गया है, जो दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक अर्थात 84 सेकंड का होगा।

Source link

Most Popular

To Top