Amar Singh Chamkila: पंजाब की धरती ने हमेशा से ही इतिहास रचा है। गुरुओं की इस धरती पर वीर–योद्धाओं के साथ–साथ साहित्यकार और गीतकार भी पैदा हुए। ऐसे गीतकार जिनकी बातें सदियों तक होंगी। इन्हीं में मशहूर नाम है अमर सिंह चमकीला का। इम्तियाज अली नेटफ्लिक्स (Netflix Shows) पर इसी मशहूर सिंगर (Punjabi Singers) की कहानी लेकर आ रहे हैं। फिल्म का नाम है चमकीला और इसमें दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) के साथ परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) को भी कास्ट किया गया है। सिंगर की जीवनी पर पहले भी फिल्में बनीं हैं। दिलजीत दोसांझ कबीर चौधरी की मोक्युमेंट्री मेशामपुर 2018 में भी काम कर चुके हैं। हालांकि ये एक डॉक्युमेंट्री स्टाइल फिल्म थी।
Amar Singh Chamkila का जन्म और सिंगिंग के लिए प्यार
चमकीला यानी जो जगमगाए, चमके और रोशनी से भरा हो। 1 जुलाई 1960 को करतार कौर और हरी सिंह सांडिला के परिवार में धनी राम का जन्म हुआ। धनी राम जो आगे चलकर चमकीला बना। लुधियाना के दलित परिवार में आगे बढ़ते हुए 6 साल की उम्र से ही चमकीला ने गाना–गाना शुरू कर दिया था। सपना था कि बड़ा होकर इलेक्ट्रिशियन बनूंगा। 18 का हुआ तो कपड़ा मिल में काम करने लगा और ब्रेक के वक्त पर गाने लिखता। फिर गुरमैल कौर से शादी हो गई और चार बच्चे हुए लेकिन उनमें से सिर्फ दो बेटियां ही बच पाईं। अमनदीप और कमलदीप में कमल चमकीला पंजाब लोकगीत की काफी बड़ी हस्ती हैं।
मिल वर्कर से गायकों की टोली की संगत
मिल में काम करते हुए चमकीला ने ढोलकी और हार्मोनियम बजाना भी सीख लिया। 16 साल की उम्र में एक परफॉर्मेंस ग्रुप भी ज्वाइन कर लिया। वो लोकल आर्टिस्ट और म्यूजिक सेशन अटेंड करने लगे। ऐसी ही एक मीटिंग में उनकी मुलाकात सुरिंदर शिंडा से हुई। बस सुरिंदर को अपना गुरू मानकर वो उनके लिए गाने लिखने लगे और कोरस में भी गाने लगे। चमकीला की मदद से शिंडा काफी पॉपुलर हो गए। हर महीने चमकीला को 100 रुपए दिए जाते थे जिससे गुजारा करना बेहद मुश्किल है। चमकीला ने अकेले बढ़ने का फैसला किया।
जानिए कैसे बनाया अपने लिए रास्ता
धनी राम ने इसके बाद अपना नाम अमर सिंह चमकीला। शिंडा कनाडा से ही अपने गाने रिलीज कर रहे थे। चमकीला ने बड़ा दांव खेला और सुरिंदर शिंडा की सिंगिंग पार्टनर सुरिंदर सोनिया के साथ हाथ मिला लिया। दोनों ने मिलकर पहली एल्बम लॉन्च की। इस एल्बम में आठ गाने थे और नाम था ‘टकुए ते टकुआ खड़के।’ लोग दोनों की गायकी के दिवाने हो गए। चमकीला भले ही सह–गायक और सॉन्गराइटर थे लेकिन सोनिया पहले से पॉपुलर होने की वजह से ज्यादा पैसे ले रही थी। 600 रुपए सोनिया के खाते में जाते और 200 चमकीला के। जब चमकीला ने बराबरी की बात की तो उन्हें वहां से भगा दिया गया। दोनों ने मिलकर 99 गीत साथ में गाए थे। अमरजोत कौर के साथ हाथ मिलाने से पहले चमकीला ने उषा किरण के साथ भी काम किया। अमरजोत ना केवल चमकीला की सिंगिग पार्टनर बन गईं बल्कि उनकी जिंदगी भी। एक तरफ चमकीला दलित थे तो दूसरी ओर वो ऊंची जाति से संबंधित जाट थीं। दोनों ने इंटरकास्ट मैरिज की और बेटे का नाम रखा जयमान चमकीला।
अमरजोत का मिला चमकीला को साथ
अमरजोत ने सिंगिंग के लिए अपने प्यार के चलते अपने पति को छोड़ दिया था और कुलदीप मानक जैसी हस्तियों के साथ काम कर चुकी थीं। अखाड़े में अमरजोत और चमकीला की जोड़ी हिट हो गई। जुगलबंदी ऐसी कि लोग छतों और पेड़ों पर चढ़–चढ़ कर सुनने आते थे। चमकीला और अमरजोत की डेब्यू एल्बम थी ‘भुल गई मैं घुंड काढ़ना’ यानि में घुंघट निकालना भूल गई। दोनों का सबसे हिट ट्रैक था पहिले ललकारे नाल मैं डर गई।
चमकीला की पूरे पंजाब में धूम
चमकीला के अखाड़े पूरे पंजाब में फैलने लगे। बेरोजगार और सताए हुए लोगों की आवाज चमकीला बन गया था। 365 दिनों में 366 शोज, कोई भी ऐसी शादी नहीं जिसमें चमकीला नहीं गाता था। अगर चमकीला की डेट नहीं मिलती थी तो शादियां कैंसिल हो जाती थीं। इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल के मुताबिक सिंगर एक शो का 500 रुपए और शादी में गाने का 4000 रुपए लेते थे। चमकीला अपनी तुंबी को लेकर कनाडा औऱ दुबई जैसी जगहों पर भी शोज करने गया। इसके साथ ही कई फिल्मों में भी काम किया। 1988 में जिस साल उनकी मौत हुई एक फिल्म आई नाम था परदेसी पटोला।
अमरजोत कौर के साथ कर ली शादी
चमकीला और अमरजोत की जोड़ी हर तरफ हिट हो गई। गानों के बोल्ड लिरिक्स बच्चे–बूढ़ों और देहात में काफी पसंद किए जाने लगे। शहरी पंजाबी आर्टिस्ट की लिखावट में नजाकल और नफासत थी। इस लिस्ट में साहिर लुधियानवी, शिव कुमार बटालवी, अमृता प्रीतम और अवतार पाश का नाम आता है। चमकीला की आवाज बेहद देसी और आम लोगों के दिलों में घर करने वाली थी। क्रांति, युद्ध, खराब समय, पंजाब में हरित क्रांति जैसी चीजों पर भी चमकीला ने गाने लिखे। सिख गुरुओं पर चमकीला के गानों को पसंद किया गया। गरीबी और अवैध संबंध समाज पर कटाक्ष और समाज की हकीकत को बयां करने वाले गाने भी लिखे। लेकिन चमकीला ने कभी भी दलित समुदाय पर कुछ ना गाया ना लिखा।
पंजाबी सिंगर्स की हो गई मौत
लोग चमकीला की मौत को दूसरे पंजाबी सिंगर्स की मौत से ही लिंक करते हैं। लोगों का मानना है कि खालिस्तानी मिलिटेंट्स द्वारा ही पंजाबी कलाकारों को मौत के घाट उतारा गया। वो समय कवि, लेखकों, गायकों और सपने देखने वालों के लिए सबसे भयानक था। जहां चमकीला आगे बढ़ रहा था वहीं पंजाब उस दौरान विद्रोहों से भरा था। 1984 सिख दंगों का असर 1990 के मध्य तक छाया रहा। सिख अलगाववादी मूवमेंट और खालिस्तान की मांग की वजह से लगातार आतंकवाद को बढ़त मिल रही थी। पुलिस के अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन भी चर्म पर थे।
चमकीला की मौत के पीछे का कारण
आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने वाले और उनसे जुड़े लोग चमकीला के गानों की लाइनों को अश्लील बताते थे। चमकीला को जान से खत्म करने की अज्ञात धमकियां दी जाने लगीं। अपने दोस्त के घर में ही चमकीला कैद हो गया। कुछ समय के लिए गाने लिखना भी बंद कर दिए लेकिन फिर से शुरू कर दिया। 1988 में खून–खराबा चरम पर था। 45 साल के किसान नेता और नक्सली कवि–सिंगर जयमाल सिंह नड्डा को मार दिया गया। 18 मार्च को उन्हें उनके ही घर के बाहर गोलियों से भून दिया गया। उनके द्वारा ही ये नारा ना हंदू राज, ना खालिस्तान, राज करेगा मजदूर किसान दिया गया था। पांच दिनों के बाद पाश को मगोली मार दी गई।
चमकीला की मौत के पीछे जाति
लोग हमेशा चमकीला की मौत के पीछे नक्सलियों को कसूरवार ठहराते हैं वहीं ज्यादातर लोग चमकीला के दलित और अमरजोत के जाट होने को भी इसके पीछे की वजह मानते हैं। 8 मार्च 1988 चमकीला सिर्फ 27 साल के थे। अपने सिंगिग करियर के शिखर पर वो मेशामपुर में लाइव शो करने जा रहे थे। तभी दो मोटरसाइकिल सवार आए और चमकीला पर गोलियां बरसाईं। ना कोई FIR दर्ज हुई, ना आज तक किसी को गिरफ्तार किया गया। ज्यादातर लोग इसे प्रोफेशनल दुश्मनी का भी नाम देते हैं।