एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि 17वीं लोकसभा में कुल 222 विधेयक पारित किए गए और इनमें से 45 को उसी दिन मंजूरी दे दी गई जिस दिन उन्हें सदन में पेश किया गया था। इसमें जम्मू और कश्मीर विनियोग (नंबर 2) विधेयक, विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023, विनियोग (लेखानुदान) विधेयक और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 17वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान 240 विधेयक पेश किए गए और उनमें से 222 पारित किए गए। इसके अतिरिक्त, 11 बिल वापस ले लिए गए और छह लंबित हैं। केवल एक विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। आंकड़ों के मुताबिक, 45 बिल उसी दिन पारित कर दिए गए, जिस दिन उन्हें सदन में पेश किया गया था। औसतन, एक सांसद ने 165 प्रश्न पूछे और 273 बैठकों में से 189 में भाग लिया।
छत्तीसगढ़ के सांसदों की औसत उपस्थिति सबसे अधिक रही, राज्य के 11 प्रतिनिधियों ने 273 बैठकों में से 216 में भाग लिया। इसके विपरीत, अरुणाचल प्रदेश में औसत उपस्थिति सबसे कम रही, जहां इसके दो सांसदों ने केवल 127 बैठकों में भाग लिया। यह विश्लेषण राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच जुड़ाव के स्तर पर भी प्रकाश डालता है। महाराष्ट्र के सांसद सबसे अधिक मुखर थे, जिनमें से 49 प्रतिनिधियों ने औसतन 315 प्रश्न पूछे। इसके विपरीत, मणिपुर के प्रत्येक सांसद ने औसतन 25 प्रश्न पूछे।
पार्टियों के बीच, एनसीपी अपने पांच सांसदों के साथ औसतन 410 सवाल उठाकर सबसे आगे रही। वहीं अपना दल (सोनीलाल) के दो दलों ने औसतन पांच-पांच सवाल ही उठाए। औसतन केवल 57 बैठकों के साथ आप सदस्यों की उपस्थिति सबसे कम रही। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सदस्यों ने औसतन 273 बैठकों में से 229 में भाग लिया। रिपोर्ट में उन 10 सांसदों के भी नाम हैं जिन्होंने संसदीय कार्यवाही में सक्रिय रूप से भाग लिया और सबसे अधिक संख्या में प्रश्न पूछे। 596 सवाल पूछने वाले बीजेपी के बालुरघाट सांसद सुकांत मजूमदार इस सूची में शीर्ष पर हैं।