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ICC: तालेबान के दो बड़े नेताओं के गिरफ़्तारी वारंट की अर्ज़ी दाख़िल

ICC: तालेबान के दो बड़े नेताओं के गिरफ़्तारी वारंट की अर्ज़ी दाख़िल

करीम ख़ान ने गुरूवार को बताया अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के सुप्रीम नेता हईबतुल्लाह अख़ुन्दज़ादा और देश के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक़्क़ानी की गिरफ़्तारी वारंटी के लिए ये अर्ज़ियाँ दाख़िल की गई हैं.

मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने कहा, “व्यापक जाँच पड़ताल और एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर, मेरे कार्यालय ने यह पाया है कि यह मानने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं कि तालेबान के सुप्रीम नेता हईबतुल्लाह अख़ुन्दज़ादा और अफ़ग़ानिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक़्क़ानी, रोम संविदा के अनुच्छेद 7(1)(h) के तहत, लैंगिक आधारों पर मानवता के विरुद्ध अपराधों को अंजाम देने के लिए, ज़िम्मेदार हैं.“

उन्होंने बताया कि उनके कार्यालय ने पाया है कि ये दो अफ़ग़ान हस्तियाँ, अफ़ग़ान लड़कियों और महिलाओं व उन लोगों को सताने और प्रताड़ित करने के लिए आपराधिक रूप से ज़िम्मेदार हैं, जिन्हें तालेबान, स्वयं की लैंगिक पहचान और अभिव्यक्ति की अपेक्षाओं से भिन्न समझता है.

इन अर्ज़ियों के अनुसार, पूरे अफ़ग़ानिस्तान में इस उत्पीड़न को 15 अगस्त 2021 से लेकर मौजूदा समय तक अंजाम दिया गया है.

बुनियादी अधिकारों का हनन

मुख्य अभियोजक करीम ख़ान के कार्यालय द्वारा तैयार इन अर्ज़ियों में कहा गया है कि अफ़गानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के दौरान, पीड़ितों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जाना शामिल है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है.

इनमें पीड़ितों को उनकी शारीरिक गरिमा और स्वायत्तता, उनके मुक्त आवागमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा के अधिकार, व्यक्तिगत और परिवार के अधिकार और सभाएँ करने के अधिकारों से वंचित किया जाना भी शामिल है.

करीम ख़ान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन के दौरान, बुनियादी अधिकारों से वंचित किए जाने के अलावा, रोम संविदा के तहत अन्य गम्भीर अपराधों को भी अंजाम दिया गया है.

मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने कहा, “तालेबान का विरोध समझे जाने वाले कथित मामलों को, हत्याओं, क़ैद, उत्पीड़न, बलात्कार और यौन हिंसा के अन्य रूपों, जबरन गुमशुदगी, और अन्य अमानवीय कृत्यों के ज़रिए दबाया जाता था और अब भी किया जाता है.”

उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्ता में स्थिति के बारे में, गिरफ़्तारी वारंट के लिए ये शुरुआती अर्ज़ियाँ हैं. उनका कार्यालय, तालेबान के कुछ अन्य वरिष्ठ सदस्यों के बारे में भी, जल्द ही ऐसी ही अर्ज़ियाँ दाख़िल करेगा.

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन के दौरान, लड़कियों और महिलाओं को भारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

‘शरिया के बहाने उत्पीड़न’

करीम ख़ान ने कहा कि तालेबान द्वारा शरिया की व्याख्या के आधार पर, लोगों को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित किए नहीं किया जा सकता और ना ही लोगों के ख़िलाफ़ ऐसा बर्ताव किया जा सकता है जो रोम संविदा के तहत अपराध है.

स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, अब ICC के न्यायाधीश, ये निर्धारित करेंगे कि इन गिरफ़्तारी वारंट अर्ज़ियों में प्रस्तुत किए गए तर्क, क्या यह मानने के लिए पर्याप्त आधार मुहैया कराते हैं कि सम्बद्ध व्यक्तियों ने कथित अपराधों को अंजाम दिया.

करीम ख़ान ने कहा, “अगर न्यायाधीश ये वारंट जारी करते हैं, तो उनका कार्यालय, इन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किए जाने के लिए, न्यायालय के रजिस्ट्रार के साथ मिलकर सभी प्रयास करेगा.”

उन्होंने ऐसे सभी मामलों की तरह, इस मामले में भी, सदस्य देशों से, न्यायालय को ठोस सहयोग मुहैया कराने और इस सम्बन्ध में जारी किए गए किसी न्यायिक आदेश पर अमल कराने में मदद मुहैया कराने की पुकार भी लगाई है.

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