‘विश्व ध्यान दिवस’ मनाने का उद्देश्य, दरअसल सभी को उच्च स्तर के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से लाभान्वित बनाने में मदद करना भी है.
प्रथम अन्तरराष्ट्रीय ध्यान दिवस मनाने के लिए, शुक्रवार, 20 दिसम्बर (2024) को यूएन मुख्यालय के ट्रस्टीशीप काउंसिल चैम्बर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके आयोजन में, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन का प्रमुख योगदान है.
यूएन महासभा के 79वें सत्र के लिए अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व ध्यान दिवस से इस प्राचीन पद्धति में निहित लाभ और दैनिक जीवन में उसके अन्तर्निहित मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा.
“जब हम ध्यान लगाते हैं, तो हम अपने मस्तिष्क को शान्त, विचारों को केन्द्रित करते हैं और करुणा व सम्मान को जगाते हैं. निजी तौर पर इस रूपान्तरकारी बदलाव का असर दूर तक नज़र होता है, जिससे हमारे परिवारों, हमारे समुदायों और उससे इतर भी समरसता प्रेरित होती है.”
यूएन महासभा प्रमुख के अनुसार इससे हमारे भीतर और हमारे इर्दगिर्द शान्ति की बुनियाद तैयार होती है.
महासभा ने 21 दिसम्बर को विश्व ध्यान दिवस मनाने के लिए एक प्रस्ताव 6 दिसम्बर 2024 को पारित किया था.
महासभा अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने इस अवसर पर अंडोरा, भारत, लिष्टेनश्टाइन, मैक्सिको, नेपाल और श्रीलंका का आभार प्रकट किया, जिनकी अगुवाई में इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस की घोषणा के लिए यूएन महासभा में प्रस्ताव को लाया गया था.
महासभा ने इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य और बेहतर रहन-सहन के पूरक तरीक़ों के रूप में, योग व ध्यान के बीच सम्बन्ध को भी मान्यता दी है.
अच्छा स्वास्थ्य-बेहतर रहन-सहन
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने व क़ायम रखने में, ध्यान व मनन के बढ़ते योगदान को व्यापक रूप में पहचाना जा रहा है. अच्छा मानसिक स्वास्थ्य एक बुनियादी मानवाधिकार है और यह टिकाऊ विकास लक्ष्यों से भी मेल खाता है.
2030 का टिकाऊ विकास एजेंडा, स्वास्थ्य और बेहतर रहन-सहन को टिकाऊ विकास लक्ष्य-3 की प्राप्ति के लिए प्रमुख स्थान पर रखता है, जिसे नाम दिया गया है – अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर रहन-सहन.
इस लक्ष्य में मानसिक स्वास्थ्य, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और सहनसक्षमता व समावेशी समाजों का निर्माण करने में, स्वास्थ्य विषमताओं को दूर करने की महत्ता को भी रेखांकित किया गया है.