महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के उन्मूलन के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस की 25वीं वर्षगाँठ पर जारी इस रिपोर्ट में, ‘फ़ेमिसाइड’ यानि लैंगिक कारणों से महिलाओं व लड़कियों को जान से मार दिए जाने के वैश्विक संकट पर प्रकाश डालते हुए, तत्काल कार्रवाई का आहवान किया गया है.
इस अवसर पर महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ने अपने सम्बोधन में कहा, “महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की महामारी, मानवता को शर्मसार करती है. दुनिया को इस आहवान पर ध्यान देना होगा. हमें न्याय और जवाबदेही के लिए तत्काल कार्रवाई और मुद्दे की वकालत करने के लिए समर्थन की आवश्यकता है.”
यह रिपोर्ट, 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक चलने वाले, 16 दिनों के वार्षिक सक्रियता अभियान की शुरुआत में जारी की गई है.
इस वर्ष, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में चिन्ताजनक वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए UNITE अभियान की थीम है, “हर 10 मिनट में एक महिला की हत्या होती है.” #कोईबहानानहीं. महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा ख़त्म करने के लिए एकजुट हों.”
क्षेत्रीय असमानताएँ, सार्वभौमिक मुद्दा
‘फ़ेमिसाइड’ यानि लैंगिक वजहों से महिलाओं व लड़कियों को जान से मार दिए जाने की घटनाएँ, सीमाओं, सामाजिक आर्थिक स्थितियों और संस्कृतियों से परे है. हालाँकि विभिन्न क्षेत्रों के अनुरूप, इसकी गम्भीरता में अन्तर हो सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, अफ़्रीका में अंतरंग साथी हिंसा और पारिवारिक कारणों से सम्बन्धित महिलाओं की हत्या की सबसे अधिक दर दर्ज की गई. यहाँ 2023 में 21,700 महिलाओं की हत्या हुई.इसके बाद अमेरिका और ओशानिया का स्थान रहा.
योरोप और अमेरिका में, ‘फ़ेमिसाइड’ के क्रमशः 64 प्रतिशत और 58 प्रतिशत मामले सामने आए, जिसमें से अधिकाँश पीड़ितों को उनके अंतरंग साथियों द्वारा मारा गया था.
इसके विपरीत, अफ़्रीका और एशिया में महिलाओं के अपने साथियों की तुलना में, परिवार के सदस्यों द्वारा मारे जाने की अधिक सम्भावना नज़र आई, जिसे लैंगिक भेदभाव के लिए ज़िम्मेदार सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयाम का सूचक माना जा सकता है.
आँकड़ों और जवाबदेही में गम्भीर अन्तर
चिन्ताजनक संख्या सामने आने के बावजूद, सुसंगत और व्यापक आँकड़ों की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है.2023 में केवल 37 देशों ने अंतरंग साथी और पारिवारिक वजहों से महिलाओं को जान से मारने की घटनाओं के आँकड़े रिपोर्ट किए, जो 2020 में 75 देशों की तुलना में बड़ी गिरावट है. इस डेटा अन्तराल से, इस तरह के अपराधों के रुझानों की निगरानी करने और जवाबदेही तय करने के प्रयासों के रास्ते में बाधाएँ आती हैं.
UN Women और UNODC ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई है, जिसके तहत व्यवस्थित डेटा संग्रह की आवश्यकता पर बल दिया गया है. सटीक और पारदर्शी डेटा, नीतिगत कार्रवाई, प्रगति की निगरानी तथा यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है कि सरकारें, लैंगिक समानता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं के लिए जवाबदेह रहें.
एक वैश्विक जनादेश
2025 में बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई के मंच की 30वीं वर्षगाँठ नज़दीक है. साथ ही, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), ख़ासतौर पर लैंगिक समानता के लिए लक्ष्य 5 को हासिल करने की पाँच साल की समय सीमा भी क़रीब आ रही है,. ऐसे में, यह रिपोर्ट त्वरित कार्रवाई के लिए एक पुकार की तरह है.
यूएनवीमेन की कार्यकारी निदेशक, सीमा बहाउस ने कहा, “महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा अपरिहार्य नहीं है – इसे रोका जा सकता है.”उन्होंने “मज़बूत क़ानून, बेहतर डेटा संग्रह, अधिक सरकारी जवाबदेही, शून्य-सहिष्णुता संस्कृति और महिला अधिकार संगठनों एवं संस्थागत निकायों के लिए वित्तपोषण में वृद्धि” की आवश्यकता पर बल दिया.
नवीनतम रिपोर्ट में, अपराधियों को जवाबदेह ठहराने वाली आपराधिक न्याय प्रणालियों को तुरन्त मज़बूत करने आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है. साथ ही, सुरक्षित एवं पारदर्शी रिपोर्टिंग तंत्र तक पहुँच व हिंसा से बचे लोगों के लिए पर्याप्त सहायता सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया है.”
अन्त में सीमा बहाउस ने कहा, “चूँकि अभी 16 दिनों का वार्षिक सक्रियता अभियान शुरू हो रहा है, इसलिए महिलाओं के जीवन की रक्षा के लिए तत्काल क़दम उठाना बेहद ज़रूरी हो जाता है.”