यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध, ‘सुपरबग’ संक्रमण से हर वर्ष 13 लाख लोग अपनी जान गँवा रहे हैं.
अज़रबैजान की राजधानी बाकू में कॉप29 जलवायु सम्मेलन में शिरकत करने के बाद, जेद्दाह पहुँचे महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि AMR पर तुरन्त क़दम उठाया जाना, जलवायु कार्रवाई जितना ही महत्वपूर्ण है.
सितम्बर 2024 में यूएन महासभा के वार्षिक सत्र के दौरान, रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर एक राजनैतिक घोषणापत्र जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट लक्ष्य तय किए गए थे. उन्होंने कहा कि अब इन वादों को ठोस क़दमों में तब्दील किया जाना होगा.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने तीन अहम प्राथमिकताओं को साझा किया, विशेष रूप से निम्न- व मध्य-आय वाले देशों के लिए:
- घरेलू व अन्तरराष्ट्रीय स्रोतों से सतत वित्त पोषण की व्यवस्था करना
- शोध, विकास व नवाचार के ज़रिये एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से मुक़ाबले के लिए तैयार होना
- गुणवत्तापूर्ण एंटीमाइक्रोबियल दवाओं की सुलभता बढ़ाना और उनके उपयुक्त इस्तेमाल को बढ़ावा देना
WHO महानिदेशक ने सचेत किया कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध की समस्या, एंटीमाइक्रोबियल के अनुपयुक्त, ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल से पनपती है. मगर हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौतें इसलिए होती हैं चूँकि उन्हें ये दवाएँ उपलब्ध नहीं हैं.
डॉक्टर टैड्रॉस के अनुसार, AMR की चुनौती हमारे समक्ष मौजूद हैं, लेकिन उसके समाधान भी हैं और सहयोग के ज़रिये इन अवसरों का लाभ उठाया जाना होगा, ताकि उन दवाओं की रक्षा की जा सके जो हमें बचाती हैं.
जब बैक्टीरिया, वायरस व परजीवी जैसे सूक्ष्मजीवों पर रोगाणुरोधी दवाओं का असर होना बन्द हो जाए, तब रोगाणुरोधी प्रतिरोध की स्थिति उत्पन्न होती है. दवा प्रतिरोध के कारण, एंटीबायोटिक्स व अन्य रोगाणुरोधी दवाएँ बेअसर हो जाती हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन या असम्भव हो जाता है और रोग के फैलने, गम्भीर बीमारी होने, विकलांगता तथा मृत्यु का ख़तरा बढ़ जाता है.
सितम्बर में यूएन महासभा द्वारा अपनाए गए राजनैतिक घोषणापत्र में, विश्व नेताओं ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण होने वाली मौतों में 2030 तक 10 फ़ीसदी की कमी लाने की बात कही है. साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर 10 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि 2030 तक कम से कम 60 फ़ीसदी देशों में AMR केन्द्रित योजनाओं को समर्थन दिया जा सके.
पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र के लिए, यूएन स्वास्थ्य संगठन में निदेशक डॉक्टर हनान अल बल्ख़ि ने कहा कि AMR का मुद्दा, केवल टिकाऊ विकास के तीसरे लक्ष्य (स्वास्थ्य) तक ही सीमित नहीं है. यह 17 लक्ष्यों में से 11 में मौजूद है – खाद्य उत्पादन से समता तक.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने कहा कि जेद्दाह में विभिन्न क्षेत्रों से हितधारकों का एक साथ जुटना अहम है, जिससे सभी को ध्यान दिलाया जा सके कि उन्हें अपने एजेंडा में AMR को नहीं भूलना होगा.
डॉक्टर बल्ख़ि ने बताया कि जेद्दाह सम्मेलन, साझेदारियाँ गढ़ने, अनुभवों को साझा करने और आपसी बातचीत के लिए बेहतर तरीक़े ढूंढने पर केन्द्रित है.
उनके अनुसार, हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाक़ों में स्वच्छता के अभाव और स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध ना होने की वजह से, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के पनपने का जोखिम बढ़ जाता है. इस वजह से, यूएन एजेंसी युद्धग्रस्त इलाक़ों में AMR के फैलाव को टालने के लिए सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने समेत अन्य बचाव उपाय अपना रही है.