यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने दोहराया कि सभी युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तयशुदा दायित्व का निर्वहन करना होगा. साथ ही, आम नागरिकों व नागरिक प्रतिष्ठानों की रक्षा की जानी होगी.
उन्होंने बताया कि लेबनान व इसराइल को अलग करने वाली सीमा रेखा, ‘ब्लू लाइन’ पर यूएन शान्तिरक्षा मिशन (UNIFIL) के तहत शान्तिरक्षक तैनात हैं, मगर मौजूदा टकराव का उन पर भी असर हुआ है.
“दक्षिणी लेबनान में, शान्तिरक्षकों ने बताया कि इसराइली सैन्य अभियान जारी हैं, और हिज़बुल्लाह के साथ झड़पें भी हुई हैं. इस बीच, हिज़बुल्लाह ने इसराइल के दक्षिणी हिस्से में ड्रोन व रॉकेट हमले जारी रखे हैं.”
इससे पहले, शनिवार को मरकाबा में एक यूएन तैनाती स्थल के सामान को इसराइल द्वारा ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के दौरान नुक़सान पहुँचा था.
एक अन्य विस्फोट में नाक़ोरा मुख्यालय के नज़दीक ही हुए यूएन मिशन का वाहन चपेट में आ गया था.
यूएन प्रवक्ता ने सभी युद्धरत पक्षों से हिंसा पर तुरन्त विराम लगाने का आग्रह किया है. “एक कूटनैतिक समाधान और युद्धविराम की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र अपना समर्थन जारी रखेगा.”
सहायता अभियान
इस बीच, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने टाइर में स्थित बुर्ज शिमाली नामक एक फ़लस्तीनी शिविर में मेडिकल आपूर्ति व जनरेटर के लिए ईंधन की व्यवस्था की है. शहर के अन्य हिस्सों में विस्थापित महिलाओं, बच्चों व पुरुषों के लिए आपात सहायता सामग्री की आपूर्ति की गई है.
शनिवार को एक मानवतावादी क़ाफ़िले ने बालबेक-हरमेल इलाक़े में भोजन व स्वच्छता सामग्री का वितरण किया था. एक अन्य क़ाफ़िले के ज़रिये लबवेह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ज़रूरी मेडिकल सामान पहुँचाया गया है.
मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय के अनुसार, लेबनान में हालात बेहद चिन्ताजनक हैं और 2006 के युद्ध की गम्भीरता को पहले ही पार कर चुके हैं, मगर टकराव अब भी बढ़ रहा है.
यूएन प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल सैक्टर को निरन्तर हमलों से जूझना पड़ रहा है और क्लीनिक, कर्मचारियों व संसाधनों के लिए गोलीबारी से बच पाना कठिन होता जा रहा है. इससे लेबनान में पहले ही नाज़ुक स्थिति से गुज़र रही व्यवस्था के लिए चुनौतियाँ पनपी हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक, लेबनान में अपनी सेवाएँ प्रदान करते समय 110 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों की जान जा चुकी है. पिछले 13 महीनों में स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर कम से कम 60 हमले हुए हैं.