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भविष्य का शिखर सम्मेलन (SOTF): ध्यान देने योग्य प्रमुख बातें

भविष्य का शिखर सम्मेलन (SOTF): ध्यान देने योग्य प्रमुख बातें

सितम्बर का अन्त, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सबसे व्यस्त समय होता है, जब विश्व नेता महासभा में उच्च स्तरीय बहस के लिए न्यूयॉर्क आते हैं. इस वर्ष, यह सामान्य नहीं होगा – संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश इस अवसर का फ़ायदा उठाकर भविष्य का शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं, जिसमें विश्व नेता, नागरिक समाज के अग्रणी और युवा समर्थक शामिल होंगे.

सम्मेलन में पैनल चर्चाओं, मुख्य भाषणों और अन्य कार्यक्रमों की एक श्रृँखला होगी, जिन्हें पाँच मुख्य विषयों में विभाजित किया जाएगा, साथ ही कुछ ‘समग्र’ विषयों पर चर्चा होगी जैसेकि मानवाधिकार, जलवायु संकट और लैंगिक समानता.

1. विकास के लिए वित्तपोषण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है, “1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के तुरन्त बाद निर्मित अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय ढाँचा ऐतिहासिक तनाव का सामना कर रहा है – और यह इस परीक्षा में लगातार विफल हो रहा है.”

सतत विकास के लिए एजेंडा 2030’ की तेज़ी से निकट आ रही समय सीमा को देखते हुए, इस प्रणाली में सुधार की आवश्यकता, और भी अधिक तात्कालिक हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने, एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने हेतु एक ख़ाका – 2030 विकास एजेंडा तैयार किया है.

शिखर सम्मेलन का एक परिणाम-दस्तावेज़ है, जिसे भविष्य के लिए सन्धि के रूप में जाना जाता है. महासचिव के अनुसार यह दस्तावेज़ देशों की तरफ़ से “वैश्विक स्तर पर समस्याओं को हल करने के लिए सभी उपकरणों का उपयोग करने”, और एजेंडा को लागू करने हेतु “साहसिक कार्य” करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

इसमें, भूख का सामना करने व ग़रीबी उन्मूलन; असमानताओं को कम करने; और जलवायु परिवर्तन का सामना करने की महत्वाकाँक्षा को बढ़ाने पर प्रमुख रूप से ज़ोर दिया जाता है.

क़तर की राजधानी दोहा में LDC5 सम्मेलन से पहले युवा प्रतिनिधियों ने युवा फ़ोरम में हिस्सा लिया.

2. अन्तरराष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र ने वर्तमान वैश्विक स्थिति को “अद्वितीय रूप से ख़तरनाक” बताया है, जहाँ प्रमुख शक्तियों के बीच संघर्ष का जोखिम, शीत युद्ध के बाद सबसे उच्च स्तर पर है, और दशकों में पहली बार परमाणु युद्ध के प्रकोप की सम्भावना अधिक है. वहीं जलवायु संकट प्रवास को प्रेरित कर रहा है और तनाव बढ़ा रहा है.

इतना ही नहीं, नई तकनीकों का हथियार के रूप में इस्तेमाल, इस परस्पर जुड़ी दुनिया में नए ख़तरों को जन्म दे रहा है.

इस तनावपूर्ण पृष्ठभूमि के बीच, 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने दशकों में पहली बार एक वैश्विक शान्ति योजना, ‘शान्ति के लिए नया एजेंडा‘ जारी किया, जिसमें शान्ति स्थापना, शान्ति निर्माण, निरस्त्रीकरण और सुरक्षा परिषद में सुधारों से सम्बन्धित समाधान प्रस्तुत किए गए थे.

उस नए शान्ति एजेंडा में उल्लेखित सिफ़ारिशें, भविष्य के शिखर सम्मेलन में अपनाई जाने वाली भविष्य की सन्धि का हिस्सा बनेंगी.

3. विज्ञान, प्रौद्योगिकी व नवाचार और डिजिटल सहयोग

स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन आयोजन स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन.

© UNICEF/Howard Elwyn-Jones

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश वैश्विक डिजिटल सन्धि को भी स्वीकार करेंगे, जिसका उद्देश्य इंटरनेट में अधिक भरोसा क़ायम करना है, और यह सुनिश्चित करना कि लोगों के पास अपने डेटा के उपयोग को लेकर अधिक विकल्प हों. भेदभावपूर्ण और भ्रामक सामग्री के लिए जवाबदेही निर्धारित करना भी इसका लक्ष्य होगा.

संधि में AI के दुरुपयोग के ख़तरों के बारे में चेतावनी दी गई है, जिससे देशों के भीतर और उनके बीच विभाजन गहरा हो सकता है, असुरक्षा बढ़ सकती है, मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और असमानता भी बढ़ सकती है.

इस दस्तावेज़ में अनेक प्रतिबद्धताएँ और कार्य सूचीबद्ध हैं, जिनसे ‘डिजिटल विभाजन’ उजागर होता है: 2.6 अरब लोगों के पास इंटरनैट उपलब्ध नहीं है, जिससे वे ऑनलाइन उपकरणों के ज़रिए मिलने वाले अवसरों से वंचित हैं.

संयुक्त राष्ट्र समर्थित गीगा पहल और डिजिटल साक्षरता कौशल प्रशिक्षण की सहायता से, सन्धि में सभी स्कूलों व अस्पतालों को ऑनलाइन लाने का आहवान किया गया है. एक अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पैनल और AI गवर्नेंस पर एक वार्षिक वैश्विक संवाद स्थापित किया जाएगा. साथ ही, 2030 तक, सर्वजन के लिए लाभकारी वैश्विक AI मानकों को विकसित करने की योजना बनाई गई है.

4. युवजन और भविष्य की पीढ़ियाँ

बांग्लादेश में किसानों के पास, अपनी फ़सलों की अच्छी क़ीमतें हासिल करने के लिए, डिजिटल मंचों तक पहुँच हासिल है.

शिखर सम्मेलन में अपनाए जाने वाला तीसरा दस्तावेज़ भविष्य की पीढ़ियों पर घोषणा-पत्र जारी होगा. असमानता को समाप्त करने, सर्वजन के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और दीर्घकालिक योजना सुनिश्चित करने के साथ-साथ, यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र में एक नई प्रविष्टि का प्रस्ताव करती है, भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक विशेष दूत, जिसे संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर बेहतर दीर्घकालिक सोच के लिए पैरोकारी तथा संगठन की शोध इकाई, यूएन भविष्य – लैब की खोजें उपलब्ध कराने का कार्य सौंपा जाएगा.

शिखर सम्मेलन की शुरुआत व अन्त, युवजन की आवाज़ों के साथ होगा: शुक्रवार, 20 सितम्बर को प्रतिष्ठित महासभा में एक युवा-नेतृत्व वाले कार्रवाई दिवस में कार्यकर्ता, हस्तियाँ, संगीत प्रदर्शन और संवाद शामिल होंगे. सोमवार, 23 सितम्बर को ट्रस्टीशिप काउंसिल चैम्बर में वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों के लिए वैश्विक प्रणाली को बेहतर बनाने पर एक संवाद होगा.

5. वैश्विक शासन

लगभग 80 साल पहले जब संयुक्त राष्ट्र वजूद में आया था, तब दुनिया एक ऐसे वैश्विक संघर्ष से उभर रही थी, जो इतना विनाशकारी था कि विश्व नेताओं ने ऐसा संगठन बनाने के प्रयास किए, जो यह सुनिश्चित करे कि ऐसा संकट फिर कभी न हो.

आज भी यह भावना प्रासंगिक है, लेकिन व्यापक सहमति है कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय बनाए गए उपकरणों को, एक बड़े सुधार की आवश्यकता है ताकि वे अपने उद्देश्य के अनुरूप कार्य कर सकें. 

शिखर सम्मेलन में, विश्व नेता ये परिवर्तन किए जाने के उद्देश्य से चर्चा में शामिल होंगे और उन उपकरणों में से एक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा उठाएंगे, जो वर्षों से गरमा-गरम बहस का विषय रहा है,

इसके अलावा, बाहरी अन्तरिक्ष मामलों पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. हाल के वर्षों में, इन गतिविधियों के लिए मज़बूत शासन संरचनाओं की मांग बढ़ गई है, क्योंकि निजी क्षेत्र द्वारा अन्तरिक्ष का उपयोग किए जाने के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, और स्थापित पक्षों के बीच नई अन्तरिक्ष शक्तियाँ शामिल हो रही हैं.

चन्द्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति स्थापित करने के लिए प्रमुख अन्तर-सरकारी पहलों का भी विकास किया जा रहा है, मानव अन्तरिक्ष उड़ान को मंगल पर ले जाने के लिए विश्वसनीय कार्यक्रम चल रहे हैं, और चन्द्रमा एवं अन्य ग्रहों से संसाधनों के खनन की विभिन्न अवधारणाओं का अन्वेषण किया जा रहा है.

नतीजतन, नए शासन रूपों की सख़्त आवश्यकता है ताकि यह व्यापक वृद्धि एक सुरक्षित और स्थाई तरीक़े से हो.

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