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अफ़ग़ानिस्तान को अफ़ीम की लत से बचाने की यूएनडीपी पहल

अफ़ग़ानिस्तान को अफ़ीम की लत से बचाने की यूएनडीपी पहल

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की ‘समुदाय आधारित कृषि एवं ग्रामीण विकास परियोजना के तहत, हज़ारों पूर्व अफ़ीम उत्पादक किसानों को उच्च-मूल्य वाली बागवानी फ़सलों की ओर रुख़ करने के लिए मदद की जा रही है. 

इस पहल से, अफ़ीम की खेती के लिए मशहूर, छह प्रान्तों में लगभग 60 हज़ार परिवारों को लाभ पहुँचा है.

अफ़ग़ानिस्तान अनेक दशकों तक अफ़ीम का एक अवैध उत्पादक रहा है, जिसके यहाँ से दुनिया के 70 प्रतिशत अफ़ीम उत्पादन की आपूर्ति होती थी. 

व्यापक अफ़ीम उद्योग तंत्र में किसान, तस्कर, युद्ध सरदार और अधिकारी शामिल रहे हैं, और इसी से देश की युद्धकालीन गतिविधियों के लिए सहायता प्राप्त होती रही थी.

2022 में अफ़गान अधिकारियों ने अफ़ीम की खेती पर पाबन्दी लगा दी थी जिससे अफ़ीम की खेती में 92 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई. इस प्रतिबन्ध ने उत्पादन और वितरण श्रृंखला को बड़े पैमाने पर गिरा दिया.

हालाँकि, एक समस्या के समाधान में से एक अन्य समस्या भी जन्म ले सकती है. मसलन, अफ़ीम का सेवन जिस तरह उपभोक्ताओं में शारीरिक और मानसिक निर्भरता पैदा करता है, उसी तरह अफ़गान अर्थव्यवस्था भी अफ़ीम की चपेट में रही है. 

अफ़ीम की मौजूदगी देश के ताने-बाने में गहराई से समाई हुई है जिससे अस्थिरता और अविकास का चक्र पैदा हुआ. उसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022 में वार्षिक राजस्व एक अरब 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर से लुढ़क कर, 2023 में 11करोड़ डॉलर पर पहुँच गया.

हाल के अनुमान, पहले अनुमानित वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में 6.4 प्रतिशत की कमी का आकलन पेश करते हैं और वर्ष 2026 तक यह गिरावट लगभग आठ प्रतिशत तक हो जाने के अनुमान हैं.

कुछ अनुमानों के अनुसार इन आँकड़ों के पीछे लगभग 6 लाख स्थानीय किसान हैं जो अफ़ीम उत्पादन बन्द हो जाने से, ग़रीबी में डूब गए हैं. अफ़ीम खेती को देश की स्थाई आय के कुछ गिने-चुने स्रोतों में एक गिना जाता रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान के छह प्रान्तों में अफ़ीम की खेती ख़ूब फली-फूली है जिसकी बिक्री अन्तरराष्ट्रीय बाज़ारों में होती रही है. मगर अब यूएनडीपी इसके विकल्पों के लिए, किसानों की मदद कर रहा है.

Photo: IRIN/Abdullah Shaheen

अफ़ीम का व्यापक क्षेत्रों पर असर

अर्थव्यवस्था पर अफ़ीम व्यापार के प्रभाव को देखते हुए इसके उत्पादन में गिरावट से, कृषि, विनिर्माण और सेवाओं जैसे अन्य उद्योग प्रभावित होते हैं. अनुमान है कि यह व्यापार को भी प्रभावित करेगा जिससे निर्यात में लगभग 20 प्रतिशत की कमी होगी, क्योंकि अन्य उत्पाद पहले से ही स्थापित अफ़ीम व्यापार नैटवर्क पर निर्भर हैं.

विशाल अफ़ीम उद्योग को हटाना कोई आसान काम नहीं है, जैसा कि हाल ही में द वाशिंगटन पोस्ट अख़बार ने लिखा कि इसके लिए वैकल्पिक आजीविकाओं और सूखा-प्रतिरोधी कृषि में पर्याप्त संसाधन निवेश किए जाने की आवश्यकता है. अफ़ीम की खेती मुख्य रूप से, सूखे को सहन करने की इसकी उच्च सहनशक्षमता और इससे मिलने वाले आर्थिक लाभों के कारण फली-फूली.

वैकल्पिक फ़सलों या उद्योगों की ओर रुख़ करने से विकास को बढ़ावा मिल सकता है और उससे टिकाऊ आजीविकाएँ पैदा हो सकती हैं, बशर्ते कि सहायक नीतियाँ और अन्तरराष्ट्रीय समर्थन इस परिवर्तन को स्थिर करने में मदद करें.

इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है. अफ़गान अफ़ीम खेती में 95 प्रतिशत की गिरावट को, म्याँमार 18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पूरा कर रहा है. 

वैश्विक अफ़ीम आपूर्ति नैटवर्क, म्याँमार की सीमाओं की ओर बढ़ गए हैं, जहाँ कमज़ोर सरकार और देश में चल रहे टकराव, अफ़ीम के कारोबार को उपजाऊ ज़मीन उपलब्ध कराते हैं. यह बदलाव दूरदराज़ के और अस्थिर क्षेत्रों में ड्रग्स फ़सल नियंत्रण की जटिलताओं पर ज़ोर देता है और एक व्यापक वैश्विक रणनीति की आवश्यकता को उजागर करता है.

इस बीच, अफ़ीम की खेती में कमी के बावजूद, देश में नशे की लत ख़तरनाक रूप से अधिक बनी हुई है, जो कि लगभग 10 प्रतिशत है और मगर पुनर्वास कार्यक्रमों का दायरा इससे कम है. 

अफ़ग़ानिस्तान में नशीले पदार्थो का उपयोग सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित करता है, विशेष रूप से युवाओं को. देश लम्बे समय से नशे की उच्च दरों से जूझ रहा है. 

एक क्रूर चक्रीय विडम्बना की स्थिति में, कुछ लोग अफ़ीम से होने वाली आय के नुक़सान से पैदा हुई गहरी ग़रीबी से निपटने के लिए, नशीली दवाओं का उपयोग करते दिखाई देते हैं.

इन स्थितियों को भड़काने में, मेथामफ़ेटामाइन के उत्पादन और तस्करी में उछाल का भी हाथ है. नशीली दवाओं के उपयोग और इसके सामाजिक परिणामों को ठीक करने के लिए एक सन्तुलित तरीक़े की ज़रूरत है, जिसमें अफ़ीम पर प्रतिबन्ध जैसी इसकी आपूर्ति को घटाने के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों का सहारा लिया जाए.

इस तस्वीर में अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त में एक पूर्व अफ़ीम किसान मजार शाह, अब सब्ज़ी की खेती करते हैं. ऐसे बहुत से किसानों ने बाग़बानी का भी रुख़ किया है.

UN News / David Mottershead

यूएनडीपी की पहल

अफ़ग़ानिस्तान में यूएनडीपी के बहुआयामी प्रयासों में, आगे बढ़ने का एक आशाजनक मार्ग नज़र आता है. यूएनडीपी को ‘अमेरिकन ब्यूरो ऑफ़ इंटरनेशनल नारकोटिक्स एंड लॉ एनफ़ोर्समेंट अफ़ेयर्स’ से लगभग $9 करोड़ की रक़म मिली है जिसके ज़रिए समुदाय आधारित कृषि और ग्रामीण विकास (सीबीएआरडी) परियोजना चलाई जा रही है. 

यह परियोजना हज़ारों पूर्व अफ़ीम उत्पादकों का रुख़, उच्च-मूल्य वाली बाग़वानी फ़सलों की तरफ़ मोड़ने में मदद कर रही है. यह पहल, अफ़ीम की खेती के लिए मशहूर छह प्रान्तों में चलाई जा रही है जिसके तहत 2,000 हैक्टेयर से अधिक भूमि का प्रयोग बदल दिया गया है, और उससे लगभग 60 हज़ार परिवारों को लाभ हुआ है.

अफ़ीम की खेती के विकल्पों में निवेश करना, दरअसल अफ़गान किसानों को एक कारगर विकल्प मुहैया कराना और नशीले पदार्थों से मुक्त, स्थिर भविष्य की ओर स्थाई परिवर्तन करने के लिए, संसाधन व समर्थन प्रदान करने का मामला है.

इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं से निपटने से ही, स्थिरता और विकास को, लत व ड्रग्स सेवन के विकल्प बनाया जा सकता है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है कि यह प्रगति, नशे की तरह एक क्षणिक मृगतृष्णा नहीं होकर, स्थाई समृद्धि की ओर एक ठोस क़दम साबित हो.

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.

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